चुस्ती – फुर्ती 

देश में आया नामीबिया का चीता

ऐसा लगा मानो हो मोक्ष – प्रदाता

समाचार चैनल लगे गुणगान करने

चीते के बेशुमार गुण लगे बताने

मंहगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा हुई दूर

बेचारे चीते सोच रहे थे, क्या है कसूर?

आत्मनिर्भर देश में हुआ भव्य स्वागत

अब भारतीय बने, नहीं हुए शरणागत

मुंह नहीं खोलने के कारण बेघर हुए

अपनों ने ही उपहार देकर बेगाने किए

सोचें, केवल शक्ति होने से बात नहीं बनती

मानव पकड़ न सके, चाहिए चुस्ती – फुर्ती।।

आनंद मोहन मिश्र

अरुणाचल प्रदेश

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