अपने पितरों के लिए प्रतिदिन एक अगरबत्ती और दीपक ही लगा दें तो उनके प्रति किए गए दोषों से मुक्ति संभव –

इन्दौर । अनेक जन्मों का पुण्योदय होने पर ही हमें यह दुर्लभ मनुष्य जीवन मिला है। इसके बावजूद यदि हम पाप कर्म कर रहे हैं तो उसका असर हमारे पितरों पर भी पड़ेगा। माता-पिता भी भगवान के ही स्वरूप हैं। हमने भगवान को नहीं देखा, लेकिन हम उन्हें प्रसन्न करने के कई तरीके अपनाते रहते हैं। याद रखें कि जब तक कर्मों में पुण्य का अंश नहीं होगा, भगवान पुष्प वर्षा करने नहीं आएंगे। अपने पितरों के लिए हम प्रतिदिन निर्मल मन से अगरबत्ती और दीपक ही लगा दें तो जाने-अनजाने में उनके प्रति किए गए दोषों से हमें मुक्ति मिल सकती है। श्राद्ध पक्ष मे दान, धर्म और जरूरतमंदों की मदद करने से पितृदेव भी प्रसन्न होते हैं।
ये प्रेरक विचारहैं आचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होंने बड़ा गणपति, पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे निःशुल्क तर्पण अनुष्ठान में व्यक्त किए। हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में महापौर पुष्यमित्र भार्गव, समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, अग्रवाल समाज के अध्यक्ष राजेश बंसल, पूर्व अध्यक्ष किशोर गोयल, सुभाष खंडेलवाल के आतिथ्य में आज भी तर्पण अनुष्ठान में हंसदास मठ संस्कृत विद्यापीठ के वेदपाठी विद्यार्थियों सहित करीब 600 साधकों ने तर्पण किया। वेदपाठी बालकों ने मठ के संस्थापक स्वामी हंसदास की स्मृति में विशेष तर्पण किया। परशुराम महासभा के पं. पवनदास शर्मा विशेष अतिथि थे। महापौर एवं अन्य अतिथियों ने भगवान हरिविष्णु के पूजन एवं आरती में भाग लिया। महापौर ने कहा कि यह पावन आयोजन हम सबके लिए प्रेरणा तथा ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों की आत्म शांति और मोक्ष के लिए अद्वितीय आयोजन है। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे इस अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर मिल रहा है। अतिथियों का स्वागत मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग, सूरजसिंह राठौर, ओमप्रकाश फरकिया, सत्यनारायण सलवाड़िया, हरिनारायण विजयवर्गीय, श्रीधर खंडेलवाल, महेन्द्र विजयवर्गीय आदि ने किया।
:: आज सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण हेतु विशेष प्रबंध ::
समिति के अध्यक्ष मोहनलाल सोनी एवं संय़ोजक हरि अग्रवाल ने बताया कि रविवार 25 सितम्बर को सुबह 8 से 10 बजे तक तर्पण अनुष्ठान के लिए सर्वपितृ अमावस्या के उपलक्ष्य में हंसदास मठ पर विशेष प्रबंध किए जाएंगे। जिन साधकों को अपने परिजनों के दिवंगत होने की तिथि याद नहीं है अथवा जो अभी तक किसी कारण से तर्पण नहीं कर सकें हैं, उनके लिए यह दुर्लभ अवसर होगा। ऐसे साधक घर से स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर हंसदास मठ पहुंच जाएं, तर्पण की सभी पूजन सामग्री एवं व्यवस्थाएं निःशुल्क उपलब्ध रहेंगी। आवश्यक हुआ तो अधिक साधक आने पर दो पारियों में तर्पण की व्यवस्था की जाएगी।
:: पितृ मोक्षदायी भागवत का समापन ::
हंसदास मठ पर समाजसेवी सनेहीलाल- गेंदीदेवी गोयल की पुण्य स्मृति में चल रहे पितृ मोक्षदायी भागवत ज्ञान यज्ञ में कृष्ण-सुदामा मिलन का उत्सव मनाया गया। प्रारंभ में सुरेन्द्र-श्रीमती संतोष गोयल, मोहन गोयल, बाबूलाल – गोदावरी गोयल, डॉ. श्रीमती जूही गोयल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। पं. तिवारी ने कृष्ण सुदामा प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि समाज के सबसे छोटे व्यक्ति को गले लगा लेंगे, उस दिन आधुनिक प्रजातंत्र भी सार्थक हो जाएगा। कृष्ण और सुदामा की मित्रता में कोई स्वार्थ नहीं था। आज पूरे विश्व को इसी तरह के मैत्री भाव की जरूरत है। अतिथियों का स्वागत मोहनलाल सोनी, राजेन्द्र गर्ग, शंकरलाल वर्मा, ए.के. पुंडरिक, जगमोहन वर्मा, कमल गुप्ता, हनुमानप्रसाद सारड़ीवाल आदि ने किया। संचालन हरि अग्रवाल ने किया। समापन अवसर पर आयोजन समिति की ओर से पं. तिवारी का सम्मान किया गया। इसके साथ ही सात दिवसीय पितृ मोक्षदायी भागवत का समापन संपन्न हुआ।