-चुनाव आयोग ने पहली बार गुजरात में 1000 से अधिक कारपोरेट घरानों के साथ किया समझौता
नई दिल्ली । मतदान के नाम पर दफ्तर से छुट्टी लेकर घर निकल जाने वाले कर्मचारियों की इस बार खैर नहीं है। गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने एक अहम फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने पहली बार गुजरात में 1000 से अधिक कॉर्पोरेट घरानों के साथ एक अहम समझौता किया है, जिसके तहत वोटिंग नहीं करने वाले कर्मचारियों पर नजर रखी जाएगी।
ये कॉर्पोरेट घराने न केवल अपने कर्मचारियों की चुनावी भागीदारी में निगरानी करेंगे, बल्कि अगर कोई कर्मचारी वोट नहीं डालता है, तो ये कॉर्पोरेट घराने अपनी वेबसाइट्स या ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर वोट नहीं देने वालों के नाम प्रकाशित करेंगे। इस समझौते की डिटेल साझा करते हुए गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी पी भारती ने बताया कि हमने 233 एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को लागू करने में हमारी मदद करेंगे।
गुजरात में पहली बार हम 1017 औद्योगिक इकाइयों (इंडस्ट्रियल यूनिट्स) से संबंधित कार्यबल (वर्कफोर्स यानी कंपनी में काम करने वाले सभी स्टाफ) की चुनावी भागीदारी की निगरानी करेंगे। रिपोर्ट में दावा किया गया कि व्यक्तिगत इकाइयों के साथ-साथ उद्योग निकायों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और चुनाव आयोग की इस पहल से अधिक से अधिक यूनिट्स को जोड़ने के लिए मतदान के दिन तक प्रयास जारी रहेगा। बता दें कि इस साल के आखिर यानी दिसंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इससे पहले चुनाव आयोग ने जून महीने में केंद्र और राज्य सरकार के विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और 500 से अधिक कर्मचारियों वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं से कहा था कि वे उन कर्मचारियों की पहचान करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जो मतदान के दिन छुट्टी लेते हैं, लेकिन मतदान नहीं करते हैं।
गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी पी भारती ने कहा कि चुनाव के दौरान अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए हमने गुजरात में 100 या अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाले उद्योगों की निगरानी करने का फैसला लिया है। इन इकाइयों में मानव संसाधन अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। वे उन कर्मचारियों की सूची तैयार करेंगे जो मतदान नहीं करते हैं और इसे अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसी तरह राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सरकारी विभागों के उन कर्मचारियों पर भी नजर रखी जाएगी, जो मतदान नहीं करते हैं। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है, मगर माना जा रहा है कि दिवाली बाद गुजरात के लिए भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी।