कुबेरेश्वरधाम पर आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व

सीहोर । हर साल की तरह इस साल भी जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में विठलेश सेवा समिति के तत्वाधान में गोपाष्टमी का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला, राकेश शर्मा, यश अग्रवाल, शुभम यादव सहित यहां पर उपस्थित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गौ माता के साथ कन्याओं की पूजा अर्चना की ओर गौ माता को गुड और चारे खिलाया। इसके उपरांत यहां पर प्रसादी का वितरण किया गया।
इस संबंध में जानकारी देते हुए समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के निर्देश पर कुबेश्रेश्वरधाम पर आयोजन किया गया था। इस मौके पर मंगलवार की सुबह पूर्ण विधि-विधान से यहां पर गौशाला में गौमाता की पूजा अर्चना के पश्चात प्रसादी का वितरण किया। इस मौके पर यहां पर मौजूद विद्वान पंडितों का कहना है कि गोपाष्टमी पर गौ माता को सुबह स्नान कराकर पूजन किया जाता। इस दिन गाय माता के मेंहदी, हल्दी, रोली आदि के थापे भी लगाए जाते हैं और उनको सजाया जाता है। धूपबत्ती-पुष्प आदि से पूजन के बाद गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि इससे सभी प्रकार के अभीष्ट सिद्ध होते हैं। परिक्रमा के बाद गाय माता के साथ कुथ दूर तक चला भी जाता है। वहीं शाम को गौ माता का पंचोपचार पूजन कर उन्हें हरी घास और भोजन देने के साथ उनकी चरणरज ललाट पर लगाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि यदि गोपाष्टमी के दिन विधि-विधान से गाय का पूजन व सेवा की जाए तो देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय की पूजा करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। गोपाष्टमी पर गाय की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता व गिरधर की पूजा करने के साथ ही कथा भी पढ़नी चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए गोपाष्टमी की कथा और पूजन विधि।
गौ माता की सेवा करने से होती मनोकामनाएं पूर्ण
उन्होंने बताया कि गोमाता को मां की दर्जा दी गई है। जिस तरीके से मां अपने बच्चों की हर सुख-शांति की कामना करती है, उनपर कोई आंच नहीं आने देती है, ठीक उसी प्रकार गौमाता भी अपने सेवा करने वाले भक्तों को कभी दुखी नहीं रख सकती है और इनकी सेवा भाव करने से उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। यह महापर्व खासकर ब्रजवासी और वैष्णवों के लिए विशेष है, ग्रंथों के अनुसार इस दिन बताया गया है कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं से गौ माता की सेवी की थी, वहीं इसके पीछे एक और कहानी है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने गौ की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठा ली थी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को गौ माता के दूध से बनी कई चीजों का भोग लगाया जाता है। गत दिनों भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के सानिध्य में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया था। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की थी। वहीं मंगलवार को गोपाष्टमी का पर्व भी मनाया गया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे भाव से गौ माता की पूजा अर्चना की।