भोपाल /जबलपुर। रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था, कुछ इसी तरह के हालात प्रदेश की आर्युवेद शिक्षा पर मंडराते संकट के हैं। इधर आयुर्वेद शिक्षा संकट मंडरा रहा है और विभाग के मंत्री रामकिशोर कांवरे नानो इन दिनों इस संकट से बेफिक्र होकर थोकबंद तबादलों और फिर निरस्त करने में मशगूल हैं। आयुष कॉलेजों में 1292 अपात्र छात्रों की भर्ती मामले में भी वे 8 माह से कार्रवाई नहीं कर पाए हैं। प्रदेश के बुरहानपुर, रीवा जिले के साथ जबलपुर के आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पढ़ाने के लिए फैकल्टी न होने की वजह से निरस्त कर दी गई। कॉलेजों में विद्यार्थी तो हैं लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं। यह स्थिति आज या कल में नहीं बल्कि विगत तीन वर्षों से है। बुरहानपुर, रीवा सहित जबलपुर की स्नातक की मान्यता और उज्जैन की द्रव्यगुण रचना, पीजी की मान्यता निरस्त हो गई है। इंदौर शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज को सशर्त मान्यता दी गई है जबकि खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज की पीजी की मान्यता खतरे में है।
-विभाग में चल रहा ट्रांसफर उद्योग!
राजधानी से लेकर प्रदेश के तमाम आयुष विभाग से संबद्य कार्यालयों में इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि विभाग में इन दिनों ट्रांसफर उद्योग चल रहा है। आयुष विभाग द्वारा 30 सितंबर से 13 अक्टूबर तक डॉक्टरों की 17 से अधिक सूचियां जारी हुई। 130 से ज्यादा चिकित्सा अधिकारी इधर से उधर किए गए। इसी बीच तीन सूची ऐसी निकलीं, जिनमें 17 से अधिक अधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त हुए। कर्मचारियों की बात करें तो 29 सितंबर से 11 अक्टूबर तक 11 सूचियों के जरिए 163 कर्मचारियों के तबादले किए गए। इस तरह कुल 293 से अधिक तबादले किए गए। यही नहीं कुछ सूचियां बैकडेट में भी निकाली जा रही हैं और कुछ ऐसे भी तबादले हैं जिनकी सूची सार्वजनिक की ही नहीं की गई। विभागीय सूत्रों की मानें तो पहले तबादला सूची में नाम, फिर 1-2 लाख के रिचार्ज के नाम पर अधिकारियों/कर्मचारियों को विभागीय कर्मियों द्वारा फोन किया जाना विभाग के अब तक के इतिहास में इतने स्तरहीन कृत्य कभी नहीं हुए। विभागीय
सूत्रों की मानें तो इसी तरह विगत वर्ष भी ट्रांसफर का भय दिखाकर वसूली की गई थी।
-भर्ती घोटाले में 8 माह से कार्रवाई नहीं कर पाए आयुष मंत्री
आयुष भर्ती घोटाले के कथित तौर पर मास्टर माइंड कहे जा रहे पूर्व ओएसडी, एमयू के पूर्व कुलसचिव डॉ. जे. के गुप्ता के खिलाफ 17 फरवरी 2022 को आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे नानों ने 1 हफ्ते में कार्रवाई की बात कही गई लेकिन हैरानी की बात है कि 8 माह बाद भी 1 सप्ताह पूर्ण नहीं हो पाया। दरअसल सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर किसी तरह पांच साल बाद आयुष कॉलेज में भर्ती घोटाले की जांच में पहली कार्रवाई हुई। इस पूरे मामले की जांच कमेटी ने पड़ताल की तो पता चला की आयुष संचालनालय, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) के अधिकारियों की साँठ गांठ से इस घोटाले को अंजाम दिया गया। वर्ष 2016 से 2018 तक आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन संबंधी जब जानकारी जुटाई गई तो 1292 अपात्र छात्रों को आयुष कॉलेजों में एडमिशन देने का मामला सामने आया। इसमे 2016 ओर 2017 में जो
निजी आयुष कॉलेज एमपी ऑनलाइन की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे। उन्होने अवैध तरीके से 1120 छात्रों को प्रवेश दे दिया। वर्ष 2018-19 से नीट परीक्षा अनिवार्य होने के बावजूद निजी आयुष कॉलेजों में गलत तरीके से छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी के निजी कॉलेजों में सीधे प्रवेश दे दिया।
- एनसीआईएम ने निरस्त की मान्यता
प्रदेश के 7 आयुर्वेद महाविद्यालयों में पिछले कई वर्षो से भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति नई दिल्ली (एनसीआईएम) द्वारा सशर्त मान्यता दी
जा रही है। पिछले दो वर्षो में कोरोना के कारण निरीक्षण नही हो सका और विभाग के आयुक्त द्वारा पूर्व में जो कमी थी उसे पूरा करने के लिए कॉलेज प्रबंधन द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत कर उसे हर हाल मे पूरा करने को कहा। मगर जैसे ही महाविद्यालय को सशर्त मान्यता मिल जाती वैसे ही विभाग के जिम्मेदार अधिकारी उसकी शर्तों को भूल जाते। जब दोबारा मान्यता की बात आती तो आनन-फानन में व्यवस्था में लग जाते हैं। दो-तीन महीनों के लिए शिक्षक स्टाफ का अस्थाई व्यवस्था कर लेते हैं। - फैकल्टी को चाहिए मनपसंद के स्थान
वर्तमान में फैकल्टी जिसकी कालेज में पदस्थापना है, यहाँ के टीचर्स कालेज में न रहकर अन्य जगह पदस्थ है। बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज के लेक्चरर डॉ अरविंद पटेल वर्तमान में प्रतिनयुक्ति पर संचालनालय आयुष में पदस्थ हैं जबकि कालेज सेक्शन पूर्व में प्रोफेसर प्राचार्य केडर के अधिकारी देखते थे। ऐसे ही अन्य अधिकारी कोई पिछड़ा वर्ग आयोग तो कोई अनुसूचित जाति आयोग में प्रतिनयुक्ति पर है। कोई राजधानी के कालेज में वर्षो से पदस्थ है। जबकि उनकी मूल पदस्थापना बुरहानपुर आर्युवेदिक कालेज है। जबलपुर में भी वर्तमान में सिर्फ यूजी संचलित है मगर नए सत्र के लिए हायर और लोअर फैकल्टी की कमी है। भोपाल के खुशीराम कॉलेज में एक दर्जन से अधिक मेडिकल ऑफिसर जिनकी पोस्टिंग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए हुई शिक्षकों के रिक्त पदों कें विरुद्ध पदस्थ हैं, 4 विषयों की पीजी मान्यता खतरे में है। अन्य कॉलेजों में भी यही हालात हैं।
-अच्छे नहीं है वर्तमान में हालात
प्रदेश के बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज में 4 से 5 फैकल्टी बाकी मेडिकल ऑफिसर के कंधो पर भार है मान्यता मिलना लगभग नामुमकिन दिखार्ई दे रहा है। बुरहानपुर के डॉ अरविंद पटेल वर्तमान में संचालनालय में पदस्थ, डॉ सूरज कोदरे पिछड़ा वर्ग आयोग भोपाल में पदस्थ, डॉ अश्वनी विद्यार्थी पिछड़ा वर्ग आयोग भोपाल में पदस्थ एवं अन्य लोग विभन्न महाविद्यालय में पदस्थ फिकेल्टी के नाम पर प्राचार्य समेत मात्र 6 शिक्षक ही हैं। उज्जैन में भी यूजी के साथ पीजी है। वर्तमान में एक पीजी विषय की मान्यता जाने का खतरा में है। उज्जैन में 2 विषय में पीजी की मान्यता जा रही है। इंदौर में सिर्फ यूजी है। वर्तमान में शिक्षकों के रिक्त पदों के विरूद्ध मेडिकल ऑफिसर कार्य कर रहे है। सशर्त मान्यता मिली है। रीवा आयुर्वेदिक कॉलेज में संहिता सिद्धांत में पीजी पाठयक्रम संचलित है मगर हायर फैकल्टी की कमी के कारण यूजी की मान्यता खतरे में है। ग्वालियर में पीजी व यूजी संचलित है किन्तु हायर फैकल्टी की कमी के कारण मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है।
(इस संबंध में आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे नानो से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।)