नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के जी20 प्रेसिडेंसी के लोगो, थीम और बेवसाइट का अनावरण किया है। छह भारतीय भाषाओं में स्वागत अभिवादन करते हुए पीएम ने कहा कि इसका थीम सार्वभौमिकता पर आधारित है। उन्होंने हिंदू देवी सरस्वती और लक्ष्मी का जिक्र करते हुए कहा, “भारतीय संस्कृति में, ज्ञान और समृद्धि दोनों की देवी कमल पर विराजमान हैं।”प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगो में कमल की सात पंखुड़ियां सात महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम से जुड़ा है।भारत 1 दिसंबर को इंडोनेशिया के मौजूदा अध्यक्ष से समूह की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और अगले साल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आगामी एक दिसंबर से भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा। भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है। इसलिए आज जी-20 के शिखर सम्मेलन की वेबसाइट, थीम और लोगो को लांच किया गया है। इस अवसर पर मैं सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।” उन्होंने कहा कि जी-20 ऐसे देशों का समूह है, जिनका आर्थिक सामर्थ्य, विश्व के 85 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), विश्व के 75 प्रतिशत व्यापार तथा विश्व की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। भारत अब इस जी-20 समूह का नेतृत्व करने जा रहा है। आजादी के इस अमृतकाल में देश के सामने ये कितना बड़ा अवसर आया है। ये हर भारतवासी का गौरव बढ़ाने वाली बात है।
पीएम ने कहा कि आज जो ये प्रतीक चिह्न का लोकार्पण हुआ है, उसके निर्माण में भी देशवासियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इस प्रतीक चिह्न और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। युद्ध के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं। हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। जी-20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है। उन्होंने कहा, “जी-20 का ये प्रतीक चिह्न केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश, एक भावना है जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है जो हमारी सोच में शामिल रहा है।” उन्होंने कहा कि आज विश्व इलाज की जगह आरोग्य की तलाश कर रहा है। हमारा आयुर्वेद, हमारा योग, जिसे लेकर दुनिया में एक नया उत्साह और विश्वास है। हम उसके विस्तार के लिए एक वैश्विक व्यवस्था बना सकते हैं।भारत विश्व का इतना समृद्ध और सजीव लोकतंत्र है। हमारे पास लोकतंत्र के संस्कार भी हैं, और लोकतंत्र की जननी के रूप में गौरवशाली परंपरा भी है।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि भारत एक ओर विकसित देशों से घनिष्ठ रिश्ते रखता है, और साथ ही विकासशील देशों के दृष्टिकोण को भी अच्छी तरह से समझता है, उसकी अभिव्यक्ति करता है। हमारा प्रयास रहेगा कि विश्व में कोई भी प्रथम विश्व या तृतीय विश्व न हो, बल्कि केवल एक विश्व हो।उन्होंने कहा, “भारत ने ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ के मंत्र के साथ विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति का आह्वान किया है। भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के मंत्र के साथ वैश्विक स्वास्थ्य को मजबूत करने का अभियान शुरू किया है। और अब जी-20 में भी हमारा मंत्र है, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’।” उन्होंने कहा कि यह मंत्र भारत के विश्व कल्याण के संदेश का मार्ग प्रशस्त करता है।प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों एवं राज्य सरकारों का आह्वान करते हुए कहा कि जी-20 की अध्यक्षता एवं मेजबानी केन्द्र सरकार का विषय नहीं बल्कि समूचे देश एवं सभी भारतीयों का विषय है। देश के कोने कोने में इसके आयोजन होंगे। राज्य सरकारों को अपने अपने राज्यों में कार्यक्रमों की रचना करें और भारत की आतिथ्य परंपरा, सांस्कृतिक विविधता, भौगोलिक खूबसूरती एवं आर्थिक प्रगति से विश्व को परिचित कराने में योगदान दें।