झाबुआ “लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क तथा त्वरित न्याय है, यह विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है, ओर इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या किसी अन्य अक्षमता के कारण न्याय पाने से वंचित न रहे जाए।” प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार द्वारा किए गए इस संबोधन के साथ जिला मुख्यालय पर आयोजित अंतिम नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ हुआ।
उक्त आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार किया गया था। जिला न्यायालय परिसर झाबुआ में माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार द्वारा महात्मागांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर साल की इस अंतिम नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव जिला न्यायायाधीश लीलाधर सोलंकी, लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी एवं विशेष न्यायाधीश महेन्द्र सिंह तोमर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गौतम सिंह मरकाम, जिला विधिक सहायता अधिकारी सागर अग्रवाल, कलेक्टर श्रीमती रजनीसिंह, पुलिस अधीक्षक अगम जैन सहित अन्य न्यायाधीशगण, विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, न्यायालयीन कर्मचारीगण, खण्डपीठ सदस्यगण, पैरालीगल वालेंटियर्स, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पक्षकारगण उपस्थित रहें।
इस लोक अदालत के लिए न्यायालय झाबुआ/पेटलावद/थांदला हेतु कुल 15 खण्डपीठों का गठन किया गया था। 15 खण्डपीठों में न्यायालय के कुल प्रकरण 1445 में से कुल 274 प्रकरणों का निराकरण हुआ जिसमें कुल 896 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि ₹ 19805057/- प्राप्त हुये एवं प्रीलिटिगेशन में कुल 4777 प्रकरण रखे गये जिसमें कुल 336 प्रकरणों का निराकरण कर कुल 480 व्यक्ति लाभांवित होकर अवार्ड राशि ₹ 7413727/- पारित हुई। इस प्रकार प्रीलिटिगेशन एवं न्यायालय के कुल 610 प्रकरणों का निराकरण हुआ।
अंतिम लोक अदालत के शुभारंभ के अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैय्यदुल अबरार ने अपने संबोधन में कहा कि लोक अदालत का सबसे बड़ा गुण निःशुल्क तथा त्वरित न्याय है, यह विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है, ओर इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या किसी अन्य अक्षमता के कारण न्याय पाने से वंचित न रहे जाए। उन्होंने कहा कि लोक अदालत में कार्यरत सभी अधिकारी पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य का निर्वहन करें। यदि वह ऐसा करते है तो निश्चित ही पीड़ितों को सुगम, सस्ता व त्वरित न्याय मिलेगा। कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश महेन्द्र सिंह तोमर द्वारा अपने संबोधन में कहा कि लोक अदालत के माध्यम से राजीनामा के आधार पर निराकृत हुये मामले में दोनों पक्षकार राहत महसूस करते है और उनके आपसी संबंध पुनः कायम हो जाते है दोनों पक्षों की जीत होती है कोई हारता नहीं है।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर श्रीमती रजनी सिंह पुलिस अधीक्षक अगम जैन, अधिवक्ता संघ झाबुआ के अध्यक्ष दीपक भंडारी ने भी संबोधित किया।