खरगोन/इन्दौर । वर्ष 2017 से प्रारम्भ हुए खेलों इंडिया युवाओं के लिए खेल का महाकुंभ बन गया है। 2022 के खेलों इंडिया का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इस आयोजन में जिस खेल को पहली बार शामिल किया गया है। उसका सबसे अच्छा ट्रेक इन्दौर संभाग के खरगोन जिले में प्राकृतिक रूप से स्थापित है।
खरगोन जिला खेल अधिकारी श्रीमती पवि दुबे ने बताया कि खेलो इंडिया में पहली बार वॉटर स्पोर्ट्स के इवेंट को शामिल किया है। इसमें केनो सलालम और कायकिंग दो महत्वपूर्ण खेल विधाएं है जो आजकल लोकप्रिय हुई है। केनो सलालम नदी की तेज धारा और कायकिंग स्थायी जल सतह पर विशेष नाव के द्वारा होता है। जिले के लिए यह एक अच्छा अवसर है जिसमें हम कई राज्यों के खिलाड़ियों की मेजबानी कर रहे हैं।
:: 6 और 7 फरवरी को महेश्वर में होगा इवेंट ::
महेश्वर में नर्मदा नदी पर स्थित सहस्त्रधारा एक ऐसा प्राकृतिक ट्रेक है जो प्रवाहित जल में खेले जाने वाली जल क्रीड़ा केनो सलालम के लिए प्रदेश में सबसे उपयुक्त स्थलों में से एक है। यहां 6वें खेलो इंडिया के तहत केनो सलालम दो दिनों तक आयोजित होगा।
खेल अधिकारी पवि दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि सहस्त्रधारा में केनो सलालम के इवेंट 6 और 7 फरवरी को आयोजित की जाएगी। इस बड़े खेल आयोजन के लिए 15 सदस्यों की समिति सामान्य प्रशासन भोपाल से बनाई गई है। वर्ष 2022 में होने वाले युवा खेल के लिए ओलंपिक 2020, एशियन गेम्स 2018 और कॉमनवेल्थ 2018 में जो खेल शामिल किए गए थे। उन खेल इवेंट को केआईवायजी-2022 में शामिल किया गया है।
:: जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली सहित 8 राज्यों के युवा खिलाड़ी होंगे शामिल ::
वर्ष 2021 में हुए खेलो इंडिया में कुल 25 खेलो को लेकर हुए थे। इस बार 2 नए खेल जोड़े गए जिसमें केनो सलालम को भी शामिल किया गया है। खेल अधिकारी श्रीमती दुबे ने बताया कि महेश्वर में जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, गोवा और मप्र के लगभग 100 से 150 खिलाड़ी सहस्त्रधारा में केनो सलालम में शामिल होंगे।
:: हवा में टंगे द्वार को बिना स्पर्श कर निकलने पर मिलते हैं अंक ::
किसी नदी में प्रवाहित होने वाली तेज जल धारा अपने आप में रोमांच से भरी होती है। में किसी विशेष बोट को एक ऐसे द्वार से निकालना होता है जो हवा में बनी/ या लटकी होती है। बिना स्पर्श किये बहुत ही अल्प समय मे गुजरने पर नम्बर प्राप्त होते है। इतना ही नहीं तेज धारा के उल्टे भी उस नाव/बोट को निकालना होता है। जो एक कठिन कार्य होता है। प्रवाहित जल धारा में छः या इससे अधिक भी हवा में द्वार बनाये जाते है।