विषधर लिपटा रहता चंदन के पेड़ में
पेड़ों को भी मजा आता उसके चिकने स्पर्श में
उसका जीवन सरल, लेता आनंद सुगंध में
शिकार करता चंदन की महकती शाखाओं में
उसके बाद उसे ठिकाना मिलता रातरानी में
सभी सांप रहते प्यार और आपसी सहयोग में
दुर्गंध की जगह, उसे ठिकाना मिलता खुशबू में
खाने – सोने के अलावे, कुछ मतलब नहीं जहान में
आराम पसंद, संतुष्ट होकर, मगन अपनी दुनिया में
त्रुटियों और असफलताओं से वह रहता भय में
होता नहीं सहिष्णु, दंश मारता जल्दबाजी में
उससे भी गया गुजरा है इंसान इस दुनिया में
बिना किसी मतलब के भी डंसते रहता हैवानियत में
आनंद मोहन मिश्र
अरुणाचल प्रदेश
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