विरान शहर

विरान आज देखो शहर हो रहा है 

हर घर लगता शमशान हो रहा है।

जिंदगी हमें बता कैसे जीना होगा

अपनी वो ऐसी पहचान खो रहा है।।

महल -महल खंडहर होते जा रहे है

यहाँ लगता, बसा शहर सो रहा है।।

बदल बदल के हम हर शहर जा रहे

रोजगार के लिए हर कोई रो रहा है।।

बुजुर्गों के कंधों पे जवानी आ रही है

‘चिराज’ युवाओं के लिए ढो रहा है।।

चिरंजीव”चिराज”

नाम.लिंगम चिरंजीव राव

म.न.11-1-21/1,कार्जी मार्ग

इच्छापुरम, श्रीकाकुलम(आंध्रप्रदेश)

पिन 532 312 मो.न.863994589