गंदगी फैलाई और चलते बने नर्मदा शिप्रा चंबल नहाने वाले

// शनिश्चरी अमावस्या पर कपड़े जूते नदी किनारें छोड़े // चिंता नहीं नदियों में प्रदूषण रोकने की //

इंदौर । मोक्षदायिनी नदियों में शनिश्चरी अमावस्या पर नहाने वालों ने स्नान किया और अपने गंदे कपड़े जूते चप्पल छोड़े और चलते बने। शनिश्चरी अमावस्या हो या सोमवती अमावस्या या भूतड़ी अमावस्या लोग अपने पाप धोने नर्मदा शिप्रा चंबल वेत्रवती पार्वती नदियों और तालाबों पर पहुंचते है। नहा धोकर गंदी साड़ियां ब्लाउज से लेकर अनार्वस्त्र जूते चप्पल वहीं छोड़ देते है। इसे पनौती उतारना कहा जाता है। आज भी औंकारेश्वर की त्रिवेणी उज्जैन की त्रिवेणी चंबल वेत्रवती शिप्रा नदियों के किनारे कपड़ों जूते चप्पलों के ढेर जमा हो गए। औंकारेश्वर नगर पंचायत से लेकर नेमावर व उज्जैन नगर निगम तक किसी का बस नहीं चला कि वे पाप धोने आए लोगों को गंदगी फैलाने से रोक सके। पनौती उतारने और गंदगी फैलाकर अपने घर चले जाने की यह परंपरा पहले कम नहीं थी लेकिन अब कलियुग में पाप धोने वालों की संख्या लाखों करोड़ों में हो जाने से गंदगी की समस्या ज्यादा है। नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पनौती उतारने पर रोक टोकर जरूरी हो गई है।