*हम तकनालॉजी के पीछे क्यों नही?*

माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय चीफ ने 10 साल की मेहनत से गूगल जैसी कम्पनी और सर्च इंजन को पछाड़ने का असम्भव सा कारनामा चैटबोट के रूप में कर दिखाया। 

गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन जैसी कम्पनियां रात दिन तकनीकी के क्षेत्र में धमाल मचा रही है।

हमारे यहां आरक्षण में प्रतिभाओं को मारने का सिलसिला पिछले 75 सालों से अनवरत जारी है। हर सरकार ने आज तक देश की प्रगति से ऊपर इस नासूर को जिंदा रखा और वोट बैंक के लिए प्रयोग करा।

और धार्मिक उन्माद, कट्टरता, जातिवाद को बढ़ावा दिया गया किसी न किसी रूप में और असंख्य कानून कायदे, व्यर्थ की औपचारिकताओं में काम काजी जनता को उलझाए रखा। मैत्री और सहयोग की जगह भय और अविश्वास का माहौल बनाये रखा जिससे अपेक्षित ग्रोथ जो ये देश डिजर्व करता था उससे आज तक वंचित रखा। कई देश बर्बाद हो गए जिन्होंने तकनालाजी और अर्थव्यवस्था को दरकिनार कर सत्ता लाभ के लिए जनता को अनुत्पादक बातों में उलझा कर देश को गर्त में पहुंचा दिया।

चीन, जर्मनी और जापान ने तकनोलॉजी में सबको पछाड़ दिया क्योंकि उन्होंने फालतू के दूसरे मुद्दों पर कभी ध्यान नही दिया। आज हमारे देश में चीन के पुरजोर विरोध के बावजूद मौजूदा साल में चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। क्योंकी हम तकनीकी को बढ़ावा देने, व्यवसाय जगत पर भरोसा करने, असंख्य कानून कायदे को हटाकर सहयोग का माहौल देने में असफल रहने के साथ साथ धार्मिक कट्टरता, उन्माद , जातिवाद को बढ़ावा देने में पूरी तरह लगे हुए है ।

कर कानूनों के लिए 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की भर्ती पिछले कुछ सालों में की गई । अगर  यही भर्ती तकनालोजी के क्षेत्र में करते तो हम कहां के कहां पहुंच सकते थे। हमारी प्रतिभाओं का फायदा विदेशियों ने उठाया।

यहां कोई राजनीति पार्टी दूध की धुली नही है। हमाम में सब नँगे है। वोट बैंक की महत्ता हमेशा देश की प्रगति के ऊपर हावी रही।

कल को हमारी आने वाली पीढ़ी हमसे पूछेगी की जब तकनीकी, अर्थव्यवस्था और व्यापार व्यवसाय को बढाने के अवसर मौजूद थे, देश मे हर तरह के संसाधन थे, योग्यता की भरमार थी तब आपने 22वी सदी की बजाय 12 सदी का उल्टा सफर तय करना क्यों पसंद करा तब क्या जवाब देंगे ? 

….डॉ. संजय बिन्दल