इसरो ने स्थापित किया विकासात्मक किर्तिमान
नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी2) की दूसरी विकासात्मक उड़ान को सफलतापूर्व लॉन्च किया। इसरो ने शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर सबसे छोटे रॉकेट एसएसएलवी-डी2 को लॉन्च किया। एसएसएलवी-डी2, प्राथमिक पेलोड के रूप में पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-07) और दो अन्य सह उपग्रह, जानुस-1 और आजादी एटी-2 को आसमान में ले जाएगा। एसएसएलवी-डी2 15 मिनट की उड़ान अवधि के बाद ईओएस-07, जानुस-1 और आजादी एटी-2 उपग्रहों को 450 किलोमीटर गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा। ईओएस-07 को इसरो द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। नए प्रयोगों में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं। जानुस-1 अतंरिक्ष अमेरिका से संबंधित है और आजादी एटी-2 स्पेस किड्ज़ इंडिया, चेन्नई में देशभर की लगभग 750 छात्राओं का संयुक्त प्रयास है। पिछले साल अगस्त में पहला एसएसएलवी मिशन असफल साबित हुआ और कंपन गड़बड़ी के कारण उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका।
इसरो के मुताबिक एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करता है। रॉकेट एसएसएलवी-डी2 बहुत कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। यह रॉकेट न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग करता है। एसएसएलवी एक 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला लॉन्च व्हिकल है, जिसका उत्थापन भार 120 टन है। रॉकेट को 3 सॉलिड प्रोपल्शन स्टेज और 1 वेलोसिटी टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फिगर किया गया है।
एसएसएलवी की पहली परीक्षण उड़ान पिछले साल 9 अगस्त को आंशिक रूप से विफल रही थी, जब प्रक्षेपण यान के ऊपरी चरण ने वेलोसिटी में कमी के कारण उपग्रह को अत्यधिक अंडाकार अस्थिर कक्षा में पहुंचा दिया था। इसरो के अनुसार इस परीक्षण की विफलता की जांच से यह भी पता चला था कि रॉकेट के दूसरे चरण के अलगाव के दौरान इक्विपमेंट बे डेक पर एक छोटी अवधि के लिए कंपन भी हुआ था। वाइब्रेशन ने रॉकेट के इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम को प्रभावित किया। फॉल्ट डिटेक्शन एंड आइसोलेशन सॉफ्टवेयर का सेंसर भी प्रभावित हुआ था।
एसएसएलवी को अभी आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा। कुछ समय बाद इस रॉकेट की लॉन्चिंग के लिए श्रीहरिकोटा के एसडीएससी में एक स्मॉल सैटेलाइल लॉन्च कॉम्प्लेक्स बनेगा। तमिलनाडु के कुलाशेखरापट्नम में नया स्पेस पोर्ट भी बन रहा है। उसके तैयार होने पर एसएसएलवी की लॉन्चिंग वहीं से होगी। इसरो के मुताबिक एसएसएलवी के एक यूनिट की लॉन्चिंग पर 30 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जबकि पीएसएलवी के एक यूनिट की लॉन्चिंग में यह खर्च 130 से 200 करोड़ रुपए के बीच बैठता है यानी जितने में एक पीएसएलवी रॉकेट जाता था, उतनी कीमत में 4 एसएसएलवी लॉन्च होंगे। हालांकि, इससे सिर्फ कम वजनी उपग्रह ही अंतरिक्ष में भेजे जा सकेंगे।