जनजातीय फूड फेस्टिवल व जड़ी-बूटी मेले का हुआ समापन

इन्दौर । नारायण मानव उत्थान समिति एवं भारतीय विपणन विकास केंद्र की मेजबानी में लालबाग परिसर में आयोजित 9 दिवसीय जनजातीय फूड फेस्टिवल व जड़ी-बूटी मेले का समापन रविवार को हुआ। 9 दिवसीय मेले में लगभग 6 लाख से अधिक दर्शकों ने यहां मेले को निहारा बल्कि भारत की औषधियों से भी रूबरू हुए। मेले में आदिवासी व्यंजनों का लुत्फ भी सभी दर्शकों ने खूब उठाया। रविवार को छुट्टी का दिन होने से बड़ी संख्या में कॉलेज स्टूडेट्स भी यहां पहुंचे थे।
मेला संयोजक पुष्पेंद्र चौहान एवं बलराम वर्मा ने बताया कि समापन अवसर पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। जिसमें स्वागत समिति अध्यक्ष एवं खरगोन-बड़वानी सांसद गजेंद्र पटेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस अवसर पर उन्होंने अपना उद्बोधन भी दिया। उन्होंने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि आधुनिक भारत में आज भी कई ऐसे स्थान है जहां पर बरसों से चली आ रही जनजातियां निवास करती है, यूं तो भारतीय इतिहास में आदिवासी जनजाति संस्कृति का बहुत महत्व है। लेकिन समय के साथ बहुत सी जनजातियों ने स्वयं में बदलाव किए हैं। लालबाग मेले में जनजातीय समुदाय की संस्कृति, सभ्यता, संस्कार व खान-पान से आने वाली युवा पीढ़ी को रूबरू कराने के उद्देश्य से यह मेला लगाया था। जिसमें शहर की जनता ही नहीं अपितु अन्य राज्यों के भी लोगों ने यहां पहुंचकर आदिवासी जनजातीय का समझा व जाना। बलराम वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत में सभी धर्म व जाति के लोग रहते हैं। सभी की अपनी-अपनी मान्यता व धर्म है। आदिवासी अंचलों में आदिवासियों का भी अपना अलग धर्म है। उनका खान-पान, बोली, संस्कृति, सभ्यता व संस्कार सभी राज्यों से भिन्न है। लालबाग में लगे इस मेले में जनजातीय जीवन शैली यहां देखने को मिली। आम से लेकर खास ने उनको जाने, पहचाना व उनकी संस्कृति के साथ ही उनके खान-पान से भी रूबरू हुए। 9 दिवसीय मेले के समापन अवसर पर मुख्य अतिथियों की मौजूदगी में मेले सहयोग करने वाले कलाकारों, वैद्यों, स्टॉल मालिक, व्यवस्थापकों, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, शार्ट फिल्म कलाकार एवं स्टूडेंट्स सहित अन्य सभी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शकों के साथ ही समिति के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद थे।