अडानी ग्रुप एक प्रमुख कोयला बंदरगाह के एसेट्स पर यह कर्ज जुटाना चाहता है
नई दिल्ली । अपनी कंपनियों के मार्केट कैप में जबरदस्त गिरावट के बाद अब अडानी ग्रुप विदेश से कर्ज लेने की कोशिशों में लगा है। अडानी ग्रुप ने 400 मिलियन डॉलर (33.15 अरब रुपए) जुटाने के लिए ग्लोबल क्रेडिट फंड्स के साथ चर्चा शुरू की है। अडानी ग्रुप एक प्रमुख कोयला बंदरगाह के एसेट्स पर यह कर्ज जुटाना चाहता है। यह बंदरगाह विवादास्पद कारमाइकल खदान से ग्रुप के ठोस जीवाश्म ईंधन के ऑस्ट्रेलियाई एक्सपोर्ट में एक बड़ा हिस्सा रखता है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी है। अडानी फैमिली ट्रस्ट द्वारा नियंत्रण नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल को अब अडानी ग्रुप के लिए धन जुटाने में मदद करने पर विचार किया जा रहा है। पिछले महीने 24 जनवरी को यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के आने के बाद से ग्रुप को 150 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी की कंपनियां 85 फीसदी ओवरवैल्यूड हैं। साथ ही ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर का भी आरोप लगाया गया था।
हाल ही के खुलासों से पता चला है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स के पास ऑस्ट्रेलियाई बंदरगाह के एसेट्स में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। सूत्रों ने बताया कि ग्रुप ने कई बड़े हाई यील्ड ग्लोबल क्रेडिट फंड्स के साथ बातचीत शुरू की है। साथ ही ग्रुप को अब तक संभावित कर्जदाताओं से दो इंडिकेटिव टर्म शीट्स भी मिली हैं। एक सूत्र ने कहा कि ग्रुप एनक्यूएक्सटी के कैश फ्लो पर फंड जुटाना चाहता है। इसका उद्देश्य दूसरे पेमेंट्स के लिए फंड अपस्ट्रीम करना है। यह पहली बार नहीं है जब ग्रुप ने अपने एसेट्स पर फंड जुटाने की कोशिश की हो। कॉरपोरेट फाइलिंग से पता चलता है कि एनक्यूएक्सटी के पास पिछले साल दिसंबर में मैच्योर होने वाले 500 मिलियन डॉलर के कर्ज पुनर्भुगतान थे। रिपोर्ट्स का मानना है कि रिफाइनेंसिंग ऑप्शंस की कमी के चलते इनका भुगतान आंतरिक स्रोतों और प्रमोटर्स द्वारा कैश इन्फ्यूजन के जरिए हुआ था।