गुना। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बुधवार देर शाम राघौजी की नगरी राघौगढ़ पहुंचे। विधायक जयवर्धन सिंह के आग्रह पर राघौगढ़ किला परिसर में लोगों को संबोधित करते हुए पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यहां के लोगों की जमकर तारीफ की, जयवर्धन की बार-बार प्रशंसा की और लोगों से सनातन के प्रति जोश व होश बरकरार रखने का आव्हान किया।
राघौगढ़ किला परिसर पहुंचने से पहुंचे पं. धीरेंद्र शास्त्री का एबी रोड से लेकर किला बाग शानदार स्वागत हुआ। लोग उनके वाहनों के आगे नाचते-गाते और जयकारे लगाते हुए उन्हें किला परिसर तक लेकर पहुंचे। इसका जिक्र पंडित शास्त्री ने अपने भाषण भी चिर-परिचित अंदाज में किया। शास्त्री ने कहाकि उन्हें नहीं पता था कि राघौगढ़ में इतने पगला हैं, गली-गली पगला हैं। यह कहते हुए किला परिसर के पाण्डाल में बैठे हजारों लोगों ने तालियां बजाईं और बागेश्वर सरकार के जयकारे लगाए। कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि यहां मंच पर सिर्फ संतों को जगह मिली। जयवर्धन सिंह भी संतों के पीछे खड़े रहकर उन्हें सुनते नजर आए। आयोजन में राघौगढ़, आवन, गुना, बजरंगगढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में संत समाज को आमंत्रित किया गया था। जिन्हें देखकर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गदगद हो गए। उन्होंने जयवर्धन सिंह की जमकर तारीफ की। उन्हें संतों, आचार्यों के प्रति विशेष स्नेह रखने वाला विनम्र व्यक्ति बताया। जयवर्धन की प्रशंसा करते हुए शास्त्री ने कहाकि उन्होंने कई नेता देखे हैं जो पद के मद में आ जाते हैं। लेकिन जयवर्धन ऐसे व्यक्तित्व हैं जो पद के मद को तिरस्कारित करके अपने श्रेष्ठजनों के चरणों में झुकना जानते हैं। ऐसे लोग समाज में पूज्यनीय हैं और यश व ऐश्वर्य को प्राप्त करते हैं। जयवर्धन को शास्त्री ने एक नहीं कई बार प्रिय कहकर संबोधित किया। राघौगढ़ की पावन धरा पर पधारे पं. धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत करते हुए जयवर्धन सिंह भी अविभूत नजर आए। उन्होंने कहाकि राघौगढ़ के इतिहास में ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा है। राघौगढ़ में चर्चित भजन धूम मची है राघौजी के नाम की… का जिक्र करते हुए जयवर्धन सिंह ने इस भजन को बागेश्वर धाम के नाम समर्पित करते हुए कहाकि आज तो राघौगढ़ में धूम मची है बागेश्वर धाम की। कार्यक्रम को लेकर राघौगढ़ के लोगों में इतना उत्साह था कि वह दोपहर से ही पंडित शास्त्री का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही गुना के दशहरा मैदान पर दिव्य दरबार पर विराम लगा शास्त्री तुरंत राघौगढ़ पहुंच गए, जहां लोगों ने उनके स्वागत के लिए पलक-पांवड़े बिछा दिए।