स्त्री जब थक चुकी होती है…
स्त्री सिर्फ़ तब तक
तुम्हारी होती है
जब तक वो तुमसे
रूठ लेती है,
लड़ लेती है
आँसू बहा बहा कर ,
और दे देती है
दो चार उलाहना हमें l
कह देती है
जो मन में आता है उसके
बिना सोचे, बेधड़क
लेकिन जब वो देख लेती है
उसके रूठने का,
उसके आँसुओं का
कोई फर्क़ नहीं है
तो एकाएक वो
रूठना छोड़ देती है
रोना छोड़ देती है l
मुस्कुरा कर देने लगती है
ज़वाब तुम्हारी बातों पर,
समेट लेती है वो ख़ुद को
किसी कछुए की तरह
अपने ही कवच में,
और सब समझ लेते हैं कि
सब कुछ ठीक हो गया है l
सब जान ही नहीं पाते
कि ये शान्त नहीं है
मृतप्राय हो चुकी है,
कहीं न कहीं
गला घोंट दिया है
उसने अपनी भावनाओं का,
और अब जो हमारे पास है,
वो हमारी हो कर भी
हमारी नहीं है l
क्योंकि स्त्री,
सिर्फ तब तक
तुम्हारी होती है
जब तक प्रेम फैल रहा होता है ll
नीना जैन लाइफ कोच दूरदर्शन एंकर