सुनता नहीं कोई फरियाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
कैसे रूक सकती है बेरोज़गारी।
चोरों और डाकूयों की है सरदारी।
बैठे हैं राहों में सय्याद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
टूटे हुए फूलों की कैसी है कहानी।
मादक द्रव्य में बीत रही है जवानी।
नयी शक्ति भविष्य बर्बाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
जाति-पाति धर्मो में चोर आ गए।
चांद आगे बादल घनघोर आ गए।
बेईमानी हो गई आबाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
सांपों से घोंसलें बचा के रखना।
हाथों में खंजर उठा के रखना।
सांपों से घोंसले बचा के रखना।
तब फिर बचेगी औलाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
प्रगति में सूर्य की लौ भर कर।
विद्या के सागरों को सारा तैर कर।
रखनी है सच्ची बुनियाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
एक दिन देखना बहारें आएंगी।
क्रान्तियों की उड़-उड़ डारें आएंगी।
उदास हो जाना ना नाशाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
देश को बनाना खुशहाल हौले-हौले।
फूलों से भरेगी यह ड़ाल हौले-हौले।
इस बात को भी रंखना है याद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
घर-घर बालम विवेकशीलता।
फिर आज़ादी की मिलेगी चेतना।
होगा नहीं फिर कोई फसाद दोस्तो।
हम कब होगें आज़ाद दोस्तो।
बलविन्दर बालम गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)
9815625409