नई दिल्ली । अब देश के नागरिकों के लिए आधार कार्ड ही डिजिटल रिकार्ड की मुख्य पहचान होगा। सरकारी मान्यता के बाद कई काम केवल आधार के जरिये हो सकते हैं, क्योंकि सरकार ‘आधार’ को देश के सभी नागरिकों के लिए विशिष्ट पहचान के डिफॉल्ट या स्वत: दस्तावेज का दर्जा दे सकती है। इसमें आधार का इस्तेमाल नागरिकों के डिजिटल रिकॉर्ड, डिजिटल अनुबंधों और हस्ताक्षर के सत्यापन में किया जाएगा। यह प्रावधान डिजिटल इंडिया विधेयक (डीआईबी) के तहत लाया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि इससे निजी क्षेत्र में भी आधार का व्यापक इस्तेमाल होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नए विधेयक के लिए मसौदा तैयार किया है। यह मसौदा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की जगह लेगा। फिलहाल मसौदा शुरुआती चरणों में है मगर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कानून के व्यापक सिद्धांतों के अनुरूप ही है। अगर कोई नागरिक स्वतः पहचान के रूप में आधार से सत्यापन का विकल्प नहीं चुनता है तो आधार से जुड़ी अन्य विशिष्ट पहचान एवं साक्ष्यों का इस्तेमाल किया जाएगा।
मसौदे के अनुसार किसी भी डिजिटल हस्ताक्षर को विश्वसनीय तभी माना जाएगा, जब वह आधार से जुड़ा होगा।
सरकार की यह पहल देश में आधार आधारित ई-केवाईसी (नो योर कस्टमर) प्रक्रिया पर लंबे समय से चल रही बहस को तेज कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2018 के अपने आदेश में निजी कंपनियों को आधार की बायोमेट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। न्यायालय ने आधार का दायरा केवल कल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल तक ही सीमित कर दिया है। एक विधि विशेषज्ञ ने कहा कि पिछले साल दिसंबर से आ रही खबरों में इस विधेयक के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र हो रहा है। ये नए प्रावधान मौजूदा आईटी अधिनियम की जगह ले सकते हैं। मगर सरकार की ओर से आधिकारिक जानकारी के बगैर इस विषय पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।