दिग्विजय सिंह का कांग्रेस से इस्तीफा ?

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्वजय सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दिग्विजय द्वारा इस्तीफा देने संबंधी एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित इस पत्र के शीर्ष में ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा लिखा हुआ है और अंत में दिग्विजय के हस्ताक्षर हैं। बाद में दिग्विजय ने इस्तीफा देने की बात का खंडन किया और कहा कि यह भाजपा की शरारत व झूठ है। दिग्विजय ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराने की भी बात कही है।
कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पत्र को झूठा और भ्रामक बताते हुए मामला दर्ज कराने की भी बात कही है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर दिग्विजय के इस्तीफे से जुड़ा पत्र वायरल हुआ, इसके चंद मिनटों में ही खबर जंगल में लगी आग की तरह चारों ओर फैल गई। जब बात दिग्विजय तक पहुंची तो उन्होंने इसका खंडन करने में देर नहीं लगाई और कहा, कि यह भाजपा का फैलाया हुआ झूठ है। मैं मामले की पुलिस से शिकायत करवा रहा हूं। दिग्विजय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भाजपा झूठ बोलने में माहिर है। मैंने 1971 में कांग्रेस की सदस्यता ली थी। पद के लिए नहीं, बल्कि विचारधारा से प्रभावित होकर पार्टी से जुड़ा था और जीवन की आखिरी सांस तक कांग्रेस में रहूंगा। इस झूठ की मैं पुलिस में शिकायत दर्ज कर रहा हूं।

क्या लिखा है पत्र में
इस्तीफे के तौर पर वायरल हुए पत्र में साफ लिखा है, कि अपने पांच दशक के राजनीतिक सफर में कई अनुभव मुझे कांग्रेस में रहते हुए मिले। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफर मैंने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए तय किया। पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय महासचिव से लेकर राज्यसभा सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचाने का काम किया जिसके लिए मैं आजीवन आभारी रहूंगा। लेकिन गत कुछ महीनों से शीर्ष नेतृत्व में उदासीनता देखकर मैं आहत हूं. मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ता केंद्रित दल न होकर अब विशेष नेता केंद्रित हो गई है। जिसकी वजह से खुद को असहत पा रहा हूं।
पत्र की सधी हुई भाषा और निष्पक्ष कांग्रेस की तारीफ के बाद विशेष नेता केंद्रित पार्टी की बात लोगों के गले तो उतरी लेकिन दूसरे ही पल दिग्विजय सिंह ने यह कह कर सभी को चौंका दिया कि यह भाजपा की शरारत है, क्योंकि इस तरह के झूठ बोलने में वो माहिर है और इसकी शिकायत भी दर्ज कराने की बात कह कर उन्होंने ऐसे किसी पत्र से खुद का संबंध होने से नकार दिया। बहरहाल कुछ देर ही सही राजनीतिक गलियारे में भूकंप आने जैसी स्थिति तो बन ही गई थी और इससे पहले कि समर्थक घर छोड़ सड़कों पर आते मामले को पत्र का खंडन कर संभाल लिया गया।