अखंड धाम आश्रम पर 56वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन का शुभारंभ

भारत की धरती पर जन्म लेने वालों को भारत माता की जय बोलना ही चाहिए : शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ –
:: आज बालिकाओं को धर्मांतरण एवं लव जिहाद के खिलाफ शपथ दिलाएंगे ::
इन्दौर । जिस तरह शरीर की भूख मिटाने के लिए अन्न और जल की जरूरत होती है उसी तरह आत्मा की भूख मिटाने के लिए वेदांत तत्व को जानने और समझने की जरूरत होती है। वेदांत का मूल तत्व ज्ञान है। भारत की धरती पर जिन्होंने जन्म लिया है, उन्हें भारत माता की जय बोलना ही चाहिए। हमारा भारत भूमि में जन्म लेना तभी सार्थक होगा, जब हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप आचरण करेंगे। जिनकी श्रद्धा हमारी संस्कृति में नहीं है उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। शासन वही श्रेष्ठ होता है, जिसमें अनुशासन हो।
जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ ने बुधवार को बिजासन रोड स्थित प्राचीन अखंड धाम आश्रम पर 56वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में वैदिक मंगलाचरण के बीच उक्त विचार व्यक्त किए। ओंकारद्विज संस्कृत विद्यालय के वेदपाठी बटुकों ने स्वस्ति वाचन किया, वहीं म.प्र. ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। समाजसेवी विष्णु बिंदल, बालकृष्ण छावछरिया, रामबाबू अग्रवाल, नारायण अग्रवाल 420 पापड़वाले, सीए एस.एन. गोयल, नवनीत शुक्ला, अशोक गोयल अतिथि के रूप में उपस्थित थे। आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. चेतन स्वरूप, संयोजक किशोर गोयल, अध्यक्ष हरि अग्रवाल, महासचिव सचिन सांखला, सचिव भावेश दवे, मोहनलाल सोनी, राजेन्द्र गर्ग, मुरलीधर धामानी, राजेश अग्रवाल, विजयसिंह परिहार, शैलेन्द्र मित्तल, डॉ. चेतन सेठिया, राधेश्याम पुरोहित, ज्योति श्रीवास्तव, किरण ओझा, वर्षा जैन आदि ने प्रारंभ में सभी संतों एवं अतिथियों का स्वागत किया। आश्रम के इतिहास और संत सम्मेलन की जानकारी मोहनलाल सोनी ने दी। अखंड युवा मंडल की ओर से पलकेश कछवाह, नरसिंह सांखला, गोविंद राजपूत, हनी कछवाह एवं शिवरतन सांखला ने संतों पर पुष्प वर्षा की।
जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने अध्यक्षीय आशीर्वचन देते हुए कहा कि बड़े से बड़े ताले को छोटी सी चाबी खोल देती है, क्योंकि वह चाबी ताले के दिल को छूती है। वेदांत कहने की नहीं, करने की प्रेरणा देता है। सनातन धर्म कोई नहीं मिटा सकता। इसको मिटाने की बात करने वाले खुद मिट जाएंगे, लेकिन सनातन धर्म कभी नहीं मिटेगा। जो शाश्वत और हमेशा है, उसका नाम ही सनातन है। अंदर के रहस्यों को खोलने का काम वेदांत का है। अब भारत ही नहीं, विश्व के इतिहास में 22 जनवरी की तिथि स्वर्ण अक्षर एवं स्वर्णिम इतिहास में अंकित होने वाली है। हम चाहते हैं कि देश में भ्रष्टाचार के स्थान पर सदाचार आए। पिछले 56 वर्षों से अखंड वेदांत संत सम्मेलन का यह आयोजन हमें प्रेरणा देता है कि भारत की पहचान धर्म से है, धन से नहीं। विश्व में अब क्रांति का नेतृत्व भारत ही करेगा। आज पूरी दुनिया में वेदांत और भारत के संतों की वाणी गूंज रही है। वेद, वेदांत और धर्म-संस्कृति हमारे जीवन का अनिवार्य अंग है। जैसे मछली को पानी से बाहर निकालने पर वह मर जाती है, वैसे ही धर्म और संस्कृति तथा वेद और वेदांत भी हमारे लिए प्राण तत्व जैसे हैं। हम आदि-अनादि काल से सनातन धर्म में जीते आए हैं और आगे भी जीते रहेंगे, इसे कोई मिटा नहीं सकता। राम का नाम सर्वव्यापी है । संत सम्मेलन को शंकराचार्यजी के उत्तराधिकारी स्वामी वरुणानंद, साध्वी अर्चना दुबे, गोधरा से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती, स्वामी राजानंद, उज्जैन से आए स्वामी रामकृष्णाचार्य आदि ने भी संबोधित किया। अंत में आभार माना अध्यक्ष हरि अग्रवाल ने।
:: आज बालिकाओं को धर्मांचरण, लव जिहाद के खिलाफ और आत्मरक्षा के लिए शपथ ::
आयोजन समिति के संयोजक किशोर गोयल एवं अध्यक्ष हरि अग्रवाल ने बताया कि अखंडधाम आश्रम पर चल रहे 56वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन में गुरुवार, 28 दिसम्बर को अपरान्ह 3 बजे सैकड़ों बालिकाओं को धर्मांतरण एवं लव जिहाद का प्रतिकार करने तथा अपनी आत्मरक्षा के लिए शपथ दिलाई जाएगी।

संलग्न चित्र –
इन्दौर। बिजासन रोड़ स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर 56वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ करते जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ एवं जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज। पास ही अन्य संत एवं सम्मेलन के पदाधिकारी।