रंगमंच से सिल्वर स्क्रीन तक  सफर तय किया

विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर, आइए जानते हैं कैसे कुछ मशहूर कलाकारों ने सबसे पहले मंच पर ही अभिनय के प्रति अपने जुनून को खोजा था।

रसिका दुग्गल 

“तीसरी घंटी की आवाज़ सुनते ही दिल अभी-भी धड़क उठता है। मंच पर होने से ज्यादा मुझे बैकस्टेज की याद आती है… जल्दबाजी में कानाफूसी, घबराहट और तेज़ धड़कते दिल।” यह रसिका दुग्गल की पोस्ट थी, जो उन्होंने 2022 में विश्व रंगमंच दिवस पर सोशल मीडिया पर लिखी थी। कॉलेज के दिनों से ही दुग्गल ने ‘द वजाइना मोनोलॉग्स’ और ‘दास्तानगोई’ जैसे कई नाटकों में काम किया है। 

सुमीत व्यास 

सुमीत व्यास का रंगमंच के दिग्गज आकाश खुराना के साथ एक लंबा और मजबूत रचनात्मक रिश्ता रहा है। खुराना के साथ उन्होंने ज़ी थिएटर के लोकप्रिय टेलीप्ले ‘गुनेहगार’ में भी काम किया है। टीवीएफ की 2014 की वेब सीरीज़ ‘परमानेंट रूममेट्स’ और ‘इंग्लिश विंग्लिश’, ‘पार्च्ड’, ‘रिबन्स’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी फिल्मों में सफलता के बावजूद भी उनका रंगमंच के लिए जुनून आज भी बना हुआ है। 

हिमानी शिवपुरी 

डीएवी कॉलेज, देहरादून में पढ़ते समय हिमानी शिवपुरी को रंगमंच से प्यार हो गया और उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में शामिल होने का साहसी फैसला किया। एनएसडी रेपर्टरी के साथ ‘ओथेलो’ में डेसडेमोना की भूमिका निभाने से लेकर कृष्णा सोबती की ‘मित्रो मारजानी’ में शीर्ष किरदार निभाने तक, वे एक प्रतिभाशाली कलाकार के रूप में उभरीं। ‘हम आपके हैं कौन’ और ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’ जैसी कुछ सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में यादगार प्रदर्शन के बावजूद, वे अभी-भी ज़ी थिएटर के टेलीप्ले ‘हमीदाबाई की कोठी’ और ‘रिश्तों का लाइव टेलीकास्ट’ जैसे नाटकों में काम करने के लिए समय निकालती हैं।

अदिति पोहनकर 

जब  अदिति   पोहनकर से उनकी माँ का साया एक अकस्मात् बीमारी ने छीन लिया, तो उन्हें अपनी माँ की एक अधूरी इच्छा बार-बार याद आने लगी। वे अदिति को एक होर्डिंग पर देखना चाहती थीं। इस सपने को पूरा करने के लिए  अदिति   ने निर्देशक, लेखक और अभिनेता मकरंद देशपांडे से संपर्क किया और उनके साथ कई नाटकों में काम किया। उनका मानना है कि रंगमंच ने उन्हें अपने इस दु:ख से उबरने में मदद की। ‘टाइम बॉय’ नाटक में काम करते समय ही उन्हें पहली बार निर्देशक निशिकांत कामत ने देखा था।