भारत 271 अरबपतियों के साथ वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर
नई दिल्ली । मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई। सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।
मुंबई एशिया की नई अरबपतियों की राजधानी के रूप में उभरा है और इस मामले में यह चीन के बीजिंग शहर को पीछे छोड़ चुका है, जबकि भारत 271 अरबपतियों के साथ वैश्विक स्तर पर जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर है। यह बात एक ताजा रिपोर्ट में कही गई है।
भारत की आर्थिक शक्ति अरबपति आबादी में हुई बढ़ोतरी से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हैं। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्वास का प्रमाण भी है। 2024 में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन के प्रति अरबपति औसत संपत्ति को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग में 27वां और रसायन क्षेत्र 24वां का स्थान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा, तकनीक-प्रेमी आबादी और नवाचार पर बढ़ते फोकस के चलते आज भारत इस एआई क्रांति को भुनाने के लिए अच्छी स्थिति में है, जिससे आने वाले सालों में भारत में और भी ज्यादा अरबपतियों की बढ़ोतरी होगी। अरबपतियों की बात करें तो भारतीय अरबपतियों की सूची में सबसे ऊपर रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी हैं, जिनकी कुल संपत्ति 115 अरब डॉलर है। अदाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी की संपत्ति 86 अरब डॉलर है। एक तरफ भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़ गई, तो दूसरी ओर इस मामले में चीन में गिरावट देखी जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के लिए यह साल खराब रहा है। हांगकांग 20 फीसदी नीचे, शेनझेन 19 फीसदी नीचे और शंघाई 7 फीसदी नीचे रहा है।