भोपाल । अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तीन मुख्य कार्यक्रमों में नव वर्ष गुड़ी पड़वा पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत नारी शक्ति के सम्मान का कार्यक्रम हमेशा से संपन्न होता आ रहा है, उसी कड़ी में आज यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसकी अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार ने कहा कि नवसंवत्सर का कार्यक्रम अखिल भारतीय साहित्य परिषद के मुख्य कार्यक्रम में हैं। भोपाल इकाई द्वारा इसे अत्यंत ही संशलिष्ट रूप से संयोजित किया है। नवसंवत्सर सृष्टि के जन्म का दिन है। ऐसे कार्यक्रम पुनर्वा कार्यक्रम होते हैं जो हमेशा नवीनता लिए होते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में शुभम चौहान तामोट उपस्थित थे उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता का उच्चाटन विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा, जिनको आज हम सभ्य समाज का मान रहे हैं वे उतने ही औपनिवेशिक हैं। किन्तु हमें यह याद रखना चाहिए कि जो पेड़ जड़ों से नहीं जुड़े रहते हैं वे जल्दी ही अपनी जगह छोड़ देते हैं।
विशिष्ट अतिथि द्वय में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष डॉ विनय षडंगी राजाराम उपस्थित थी उन्होंने कहा कि सीता शक्तिशाली व वीर स्त्री थी। नारी शक्ति का सम्मान सीता का सम्मान है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में ही अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय मंत्री डॉ साधना बलवटे उपस्थित रही उन्होंने कहा कि – परिषद् की ओर से युवा पीढ़ी द्वारा शक्ति का सम्मान करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों की नारी शक्ति का सम्मान विगत दस वर्षों से क्रिया जा रहा है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल की अध्यक्ष और उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने
सभी नारी शक्तियों का सम्मान एवं स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि, भारत देश में शक्ति की पूजा, आराधना, शक्ति का सम्मान हमारी समृद्ध परंपराओं का हिस्सा है, हमारा कर्तव्य है कि हम इस परंपरा की निरंतरता के वाहक बनें, इसीलिए अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई प्रत्येक वर्ष नवसंवत्सर पर यह कार्यक्रम आयोजित करती है।
कार्यक्रम के संबंध में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की महामंत्री सुनीता यादव ने बीज वक्तव्य में कहा कि विक्रम संवत उज्जयिनी के प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के द्वारा शुरू किया गया था।एक संवत्सर में १२ मास होते हैं। जिसमें चैत्र मास चित्रा नक्षत्र में होने के कारण प्रथम मास है।इसी माह में बिष्णु जी का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था।
इस अवसर पर सरस्वती वंदना एवं कबीर पर दोहे प्रस्तुत किए गए।
शक्ति सम्मान के अंतर्गत अमृत शक्ति सम्मान से श्रीमती प्रभा मिश्रा श्रीमती जया और एवं श्रीमती खालिदा सुल्तान सिद्दीकी को सम्मानित किया गया। नेपथ्य की शक्ति में श्रीमती पद्मा सक्सेना को सम्मानित किया गया साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिला शक्ति को सम्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में श्रीमती राखी तिवारी ,उद्घोषिका श्रीमती प्रमिता दुबे, समाज सेवा में श्रीमती प्रीति उपाध्याय ,चित्रकला में डॉक्टर अर्चना मुखर्जी, मेकअप आर्टिस्ट नेहा बाजपेई ,योग में श्रीमती हेमलता भारद्वाज, नृत्य में श्रीमती की रोशनी गाचले, ध्रुपद गायन में श्रीमती सुरेखा काम्बले , गोबर आर्ट में महिमा पांडे ,स्क्रीन रील में छवि सोलंकी , पत्रकारिता में श्रीमती प्रीति जैन, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रंजना दुबे ,एडवोकेट श्रीमती सपना जोशी ,मनोविज्ञान में साक्षी यादव सिनेमेटोग्राफी में रश्मि आचार्य रंगमंच में ज्योति दुबे आंत्रप्रिन्योर श्रीमती महिमा तारे ग्वालियर फोटोग्राफी में हिमांशी शर्मा घरेलू सहायिका में श्रीमती लक्ष्मी शर्मा और श्रीमती मधुमानकर को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सरस्वती वंदना शैली सोलंकी ने, परिषद गीत मॉडवी सिंह ने ,कार्यक्रम का सफ़ल संचालन गीतकार धर्मेंद्र सोलंकी ने किया। कार्यक्रम में कबीर गायन में काया गार सी काची और युगीन युगीन हम योगी, गीतों की सुमधुर प्रस्तुति शिवेंद्र प्यासी, योगेन्द्र ने दी।