20 सालों में भारत का औसत तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
नई दिल्ली । बड़ी-बड़ी इमारतें, कटते पेड़, कांक्रीट की सड़कें, वायु प्रदूषण ऐसी कई चीजों से हमारी धरती का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। लेकिन हम सिर्फ अपनी ख्वाइशें पूरी करने के चक्कर में दिन ब दिन बीमारियों और प्राकृतिक आपदातों को झेलने की मजबूर हैं। इन सभी के चलते आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन को लेकर परेशान है। जलवायु परिवर्तन को लेकर वैज्ञानिक पूरे विश्व को चेतावनी देते हैं।
हाल ही में एडिलेड और रटगर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि उग्रवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले क्षेत्रों में जलवायु में इतनी तेजी से बदलाव आया है कि वो अब उनके छिपने लायक नहीं रह गए हैं। इसकी वजह से उन्हें दूसरे क्षेत्रों की ओर रुख करने को मजबूर होना पड़ा है। शोध के नतीजे एक रिसर्च में सामने आए हैं।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आतंकवादी घटनाओं को लेकर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भू-स्थानिक विश्लेषण के माध्यम से जलवायु कारकों और आतंकवाद के बीच संबंधों की जांच की है। उसमें सामने आए नतीजों के मुताबिक तापमान, वर्षा और ऊंचाई भारत में आतंकवादी गतिविधियों को प्रभावित करते हैं। इसमें कहा है कि तापमान, बारिश और ऊंचाई आतंकवादी गतिविधियों के बदलते पैटर्न से जुड़े हैं। शोध के पाया गया कि नए क्षेत्रों में आतंकवादियों का जाना बदलता मौसमी भी था। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दुष्प्रभावों का संबोधित करना न केवल पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा है, बल्कि यह सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।
गौरतलब है कि यह अध्ययन 1998 से 2017 के बीच भारत में हुई आतंकवादी गतिविधियों पर केंद्रित था। इस दौरान वैश्विक आतंकवाद डेटाबेस ने भारत में आतंकी हमलों की 9,096 घटनाएं दर्ज कीं थी। 20 सालों में भारत का औसत तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत के कुछ क्षेत्र ऐसे थे जो अध्ययन के दौरान बार-बार आतंकवादी हिंसा से प्रभावित हुए थे। ये क्षेत्र मुख्य रूप से देश के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में हैं। वो राज्य जो इस दौरान आतंकवाद के हॉटस्पॉट रहे उनमें जम्मू-कश्मीर, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, और केरल शामिल हैं। यह अध्ययन आतंकवादी गतिविधियों के स्थान पर केंद्रित था, लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक आंकड़े इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि इन आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े अन्य मुद्दे जैसे उनके ट्रेनिंग स्थल भी जलवायु में आते बदलावों के साथ बदल रहे हैं।