36 प्रोटीन पाउडर में से 70प्रतिशत में गलत जानकारी

8प्रतिशत सैंपल में कीटनाशक के सैंपल मिले
नई दिल्ली । एक स्टडी के अनुसार, भारत में जांचे गए 36 प्रोटीन पाउडर में से 70प्रतिशत में गलत जानकारी पाई गई। स्टडी के नतीजों के मुताबिक, कुछ ब्रांड्स ने जितना प्रोटीन होने का दावा किया था, उसका असल में आधा ही पाया गया। स्थिति को और खराब ये बात बनाती है कि 8प्रतिशत सैंपल में कीटनाशक के सैंपल मिले और 14प्रतिशत सैंपल में नुकसानदेह फफूंद अफ्लाटॉक्सिन पाए गए।
ये स्टडी कई तरह के प्रोटीन पाउडर पर की गई थी, जिनमें पोषण आहार पूरक, जड़ी-बूटियों वाले तत्व, विटामिन, मिनरल और अन्य नैचुरल या कृत्रिम पदार्थ शामिल थे। 36 उत्पादों में से 9 में 40प्रतिशत से कम प्रोटीन पाया गया, जबकि बाकी में 60प्रतिशत से ज्यादा था। कुल मिलाकर 25 सप्लीमेंट्स (69.4प्रतिशत) में प्रोटीन की मात्रा गलत बताई गई थी। दूसरे शब्दों में जांच में पाया गया प्रोटीन की मात्रा विज्ञापन में बताई गई मात्रा से कम थी और ये कमी 10प्रतिशत से 50प्रतिशत के बीच थी। स्टडी में पाया गया कि एक ही कंपनी के दो प्रोडक्ट्स में विज्ञापन में बताए गए प्रोटीन से 62प्रतिशत और 50.4प्रतिशत कम प्रोटीन था।
वहीं, एक जानी-मानी कंपनी का मशहूर प्रोटीन पाउडर भी गलत लेबल वाला निकला, उसमें बताई गई मात्रा से 30 प्रतिशत कम प्रोटीन था। कई डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी कि ऐसे किसी भी सप्लीमेंट को खरीदते समय सावधान रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी चिंता ये है कि किसी व्यक्ति को कितने प्रोटीन की जरूरत है। ये जवाब हर व्यक्ति की उम्र, सेहत और एक्सरसाइज रूटीन पर निर्भर करता है, इसलिए सभी के लिए एक ही मात्रा ठीक नहीं हो सकती। विशेषज्ञों के मुताबिक, जो लोग एथलेटिक्स में हैं और जो लोग कम फिजिकल एक्टिविटी वाली लाइफस्टाइल जीते हैं। उनके लिए प्रोटीन की जरूरत अलग-अलग होती है। उन्होंने बताया, आमतौर पर लोग जिम और फार्मासिस्टों से सप्लीमेंट खरीदते हैं, जिनके पास शायद प्रोडक्ट की पोषण संबंधी जानकारी देने की एक्सपर्टीज न हो। किसी भी प्रोटीन पाउडर का बड़ी मात्रा में सेवन, बिना किसी न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लिए, किडनी, लीवर, स्किन और शरीर के अन्य टिशू को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ प्रोटीन बार और पाउडर में एक्स्ट्रा शुगर, फ्लेवर और विटामिन भी होते हैं।
डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि ये खून में शुगर लेवल बढ़ा सकती है और वजन भी बढ़ा सकती है। डॉक्टरों ने सलाह दी कि कोई भी सप्लीमेंट खरीदते समय रूर देखें कि उस पर एफएसएसआई का लेबल लगा हो और साथ ही प्रोडक्ट के सारे इनग्रेडिएंट्स को ध्यान से पढ़ें। पिछले साल अगस्त में, लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि 2022-23 में एफएसएसआई ने 38,053 दीवानी मामले और 4,817 फौजदारी मामले दर्ज किए थे, जिनमें प्रोटीन पाउडर और डाइटरी सप्लीमेंट्स जैसे खाद्य पदार्थ शामिल थे, जो मानकों के अनुरूप नहीं थे। प्रोटीन पाउडर के कई ब्रांड ऑनलाइन और दुकानों में बेचे जाते हैं और उनका विज्ञापन किया जाता है। ये चिंता की बात है कि उनमें से कई अपनी गुणवत्ता के बारे में गलत जानकारी देते हैं और ग्राहकों को कुछ पाउडर में मौजूद हानिकारक चीजों के बारे में पता नहीं होता। ऐसे ब्रांड मालिकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। गुमराह करने वाले ब्रांड्स को दुकानों से हटा भी दिया जाना चाहिए।
इस विषय पर जन जागरूकता बढ़ाने के लिए मीडिया अभियान चलाया जाना चाहिए। बता दें कि पिछले कुछ सालों में प्रोटीन पाउडर और प्रोटीन बार काफी लोकप्रिय हो गए हैं। इनको कई तरह के लोग इस्तेमाल करते हैं। फिटनेस के लिए जिम जाने वाले लोगों से लेकर वो लोग भी जो इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें पूरा खाना खाने का वक्त नहीं मिलता, सब प्रोटीन सप्लीमेंट का उपयोग कर रहे हैं। कुछ लोग इनका इस्तेमाल मसल्स को बढ़ाने के लिए करते हैं, वहीं दूसरी तरफ खासकर उम्रदराज लोग खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए इनका सेवन करते हैं। बहुत सारे प्रोडक्ट्स को नैचुरल या ऑर्गेनिक के तौर पर बेचा जाता है और वो तुरंत और जादुई फायदे का दावा करते हैं।