यक्ष प्रश्न, भर्ती नहीं हो सके 75 प्रतिशत अग्निवारों का क्या होगा
नई दिल्ली । भारतीय सैन्य सेवाओं में भर्ती की नई व्यवस्था अग्निपथ योजना में बदलाव की सुगबुगाहट हैं। हालांकि, सरकार या सेना की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन खबरें हैं कि सेना एक आंतरिक सर्वे करावा रही है, जिसमें अग्निवीरों से जुड़े सवाल पूछे जा रहे हैं। इसका मकसद भर्ती प्रक्रिया पर योजना के असर को जानना है। संभावनाएं हैं कि सर्वे महीने के अंत तक खत्म हो सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सेना एक आंतरिक सर्वे करा रही है, जिससे मिलने वाली जानकारी के आधार पर आने वाली नई सरकार के सामने योजना में कुछ बदलाव की सिफारिशें हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि सेना के सर्वे में अग्निवीरों, भर्ती और ट्रेनिंग स्टाफ सहित सभी हितधारकों से कुछ जानकारियां मांगी गई हैं।
सेना अधिकारियों ने कहा कि हर समूह के जवाबों को इस महीने के अंत तक जुटाया जाएगा। इसके बाद आंकलन कर अगली प्रक्रिया शुरू होगी। अधिकारियों का कहना है कि करीब 10 सवाल तैयार किए गए हैं, जो सर्वे में शामिल लोगों से पूछे जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भर्ती करने की प्रक्रिया में शामिल लोगों को बताना होगा कि अग्निवीर सेना में क्यों शामिल हो। साथ ही यह जानकारी भी देनी होगी कि वे सेना का हिस्सा बनने के लिए कितने उत्साहित हैं। इसके अलावा उन्हें आवेदक कैसे हैं, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के आवेदक ऑनलाइन एंट्रेस एग्जाम को लेकर किस तरह की प्रक्रियाएं दे रहे हैं, जैसी जानकारियां भी देनी होंगी। खास बात है कि रिक्रूटमेंट में शामिल लोगों को बताना होगा कि योजना के लागू होने के बाद सेना में भर्ती पर कुल क्या असर पड़ा है। इससे जुड़े कुछ सवाल पूछे जाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिट और सब यूनिट कमांडरों को अग्निवीरों और योजना से पहले आए सैनिकों के प्रदर्शन पर भी फीडबैक देना होगा। साथ ही बताना होगा कि उन्होंने अग्निवीरों में कौन सी सकारात्मक या नकारात्मक बातों को देखा है। खबर है कि इन जानकारियों के आधार पर सेना योजना में कुछ बदलावों की सिफारिश कर सकती है।
दरअसल जून 2022 में मोदी सरकार ने अग्निवीरों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सैन्य सेवाओं में चार साल के लिए भर्ती होगी। 4 सालों का कार्यकाल पूरा होने के बाद 25 फीसदी अग्निवीर अपनी इच्छा से सेवाओं में शामिल होने के लिए आवेदन दे सकते हैं। खास बात है कि योजना लागू होने के बाद से ही इसपर सियासी चर्चाएं भी जारी हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में भी यह मुद्दा बना है।
बात दें कि अब तक थल सेना में 40,000 अग्निवीरों के दो बैचों ने प्रशिक्षण पूरा कर तैनाती पा ली हैं। 20,000 अग्निवीरों के तीसरे बैच ने नवंबर 2023 में प्रशिक्षण शुरू किया है। नौसेना में 7,385 अग्निवीरों के तीन बैचों ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। वहीं, भारतीय वायुसेना में 4,955 अग्निवीर प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं।
योजना को लेकर मीडिया हाऊस के द्वारा कराए गए सर्वें में देश को सैकड़ों जवान देने वाले इन गांवों में सेना में जाने के इच्छुक युवाओं, उनके परिजनों, पूर्व सैनिकों, सेना में जाने की तैयारी कराने वाले प्रशिक्षण केंद्रों के संचालकों और यहां तक कि ‘अग्निपथ’ योजना में नियुक्त होने के बाद भी नौकरी छोड़ देने वाले अग्निवीरों से बातचीत की।
बातचीत में इस योजना के आने के बाद से न केवल युवाओं का सेना में जाने के प्रति रुझान कम हुआ है, बल्कि उनके पिता-माता भी अपने बच्चों को इस चार वर्षीय अल्पकालिक नौकरी में जाते देखना नहीं चाहते हैं। नतीजतन, सेना में जाने की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या सैकड़ों-हजारों में होती थी, अब वह सिमटकर दहाई के अंकों में रह गई है। एक सवाल जो बना हुआ था कि चार साल की नौकरी के बाद सेना में नियमित न हो सके 75 फीसदी अग्निवीरों का भविष्य क्या होगा?’