स्टारशिप की कामयाबी: मस्क का सपना होगा साकार, मंगल पर बसेंगी बस्तियां

लंदन । स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर इस टेस्ट को कामयाब बताया और कहा, कई टाइल्स और फ्लैप के नुकसान के बाद भी स्टारशिप ने महासागर में सॉफ्ट लैंडिंग करके कामयाबी हासिल कर ली है। उन्होंने कहा, दूसरे ग्रह पर जीवन बसाने की ओर यह एक बड़ा कदम है। मंगल पर कॉलोनी बसाने का सपना देखने वाले एलन मस्क के लिए यह मिशन बहुत ही अहम था। यह रॉकेट पूरी तरह से रीयूजेबल है। एलन मस्क की कंपनी ने इसे बनाया है। स्टारशिप दरअसल एक स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी बूस्टर का मिलाजुला रूप है। यह 150 मीट्रिक टन तक का भार अपने साथ ले जा सकता है। जानकारी के मुताबिक इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि एक बार में कम से कम 100 लोगों को मंगल ग्रह तक ले जा सके। यह चौथा टेस्ट था और इसकी अवधि 1 घंटा 5 मिनट और 48 सेकंड थी। बता दें कि मस्क का प्लान है कि 2029 तक इंसानों को मंगल पर पहुंचा दिया जाए। मस्क का कहना है कि पृथ्वी पर कुछ ऐसा हो सकता है जिससे मानवता खत्म हो सकती है। ऐसे में अगर मंगल पर भी कॉलोनी बसा ली जाए तो इंसानों का अस्तित्व बच जाएगा।
बता दें कि अब तक के इस सबसे शक्तिशाली रॉकेट को कंपनी के स्टारबेस बोका चिका, टेक्सास से सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया था। इस स्टारशिप को अंतरिक्ष में भेजा गया और फिर वापस पृथ्वी पर लाया गया। इस टेस्ट का उद्देश्य यही था कि पता लगाया जाए कि स्टारशिप अंतरिक्ष में जाने के बाद जब दोबारा पृथ्वी का वातावरण में लौटता है तो सर्वाइव कर पाता है या नहीं। कंपनी स्पेसएक्स ने भी सोशल मीडिया पर ब ताया कि पानी में लैंडिंग एकदम सफल रही है और इसके लिए स्पेसएक्स की टीम को बधाई। इस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में 6 रैप्टर इंजन और सुपर हैवी में 33 रैप्टर इंजन का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले तीसरा टेस्ट सफल नहीं हो पाया था। इस स्टारशिप को पृथ्वी के वातावरण में एंट्री कराते ही संपर्क टूट गया था। वहीं 18 नवंबर 2023 को स्टारशिप को दूसरा टेस्ट करवाया गया था। यह पृथ्वी की तरफ आ ही नहीं पाया था। 3.2 मिनट के बाद ही 90 किलोमीटर ऊपर यह फट गया था। वहीं स्टारशिप को भी 148 किलोमीटर ऊपर नष्ट करना पड गया। पहले टेस्ट 20 अप्रैल 2023 को कराया गाय था। उड़ान भरने के चार मिनट बाद ही इसमें विस्फोट हो गया था और मेक्सिको की खाड़ी के पास गिर गया था। हालांकि इसको लेकर एलन मस्क ने बताया था कि लॉन्च पैड से उड़ान भरना ही इसके लिए सफलता थी।