इन्दौर । मनुष्य जन्म, धर्म का श्रवण, धर्म में श्रद्धा और सर्व त्याग की प्रबल भावना यह चार चीजें परम दुर्लभ है। क्योंकि यह परम मंगलकारी है। यह चारों उत्तरोत्तर एक से बढ़ चढक़र हैं। इनके अभाव में जीव चार गति और चोरासी योनियों में संसार में भटकता ही रहता है।
उक्त विचार तिलक नगर स्थित तिलकेश्वर पार्श्वनाथ श्रीसंघ जैन उपाश्रय में आयोजित धर्मसभा में आचार्य मुक्तिसागर सूरीश्वर मसा ने नहीं ऐसो जनम बार-बार विषय पर श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपने प्रवचनों में आगे कहा कि नरक, तिर्यंच, देव और मनुष्य इन चारों गतियों में मनुष्य जन्म ही सर्वश्रेष्ठ इसलिए हैं कि यहां धर्म को सुन सकते हैं, समझ सकते हैं और आचरण में भी ला सकते हैं। नरक के नारक जीवों को धर्म का श्रवण भी नसीब नहीं है। पशु-पक्षियों में श्रवण हो सकता है मगर वे समझ नहीं सकते। देवलोक के देव-देवी सुन सकते हैं, समझ भी सकते हैं मगर आचरण में नहीं उतार सकते। एक मात्र मनुष्य जन्म ही ऐसा है कि जहां सभी संभावनाएं प्रबल होती है। इसीलिए जीवन मनीषियों ने मनुष्य जन्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि नहीं ऐसो जनम बार-बार।
अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक पुण्यपाल सुराणा एवं कैलाश नाहर ने बताया कि प्रवचन के पश्चात दिलीप शाह ने सभी श्रीसंघों के समक्ष 14 जुलाई को पिपली बाजार में होने वाले आचार्यश्री के मंगल प्रवेश जुलूस की जानकारी दी। शुक्रवार 12 जुलाई को आचार्यश्री प्रकृति नगर में भरत कोठारी के गृह जिनालय की वर्षगांठ पर पहुचेंगे। शनिवार 13 जुलाई को शांति नगर उपाश्रय में आचार्य प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे।