मैच फिक्सिंग: 24 साल बाद आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप तय करने का आदेश

नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली की अदालत ने 2000 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग के आरोप में करीब 24 साल बाद चार लोगों पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप तय करने का आदेश दिया है। अडिशनल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा प्रिया ने राजेश कालरा, टी-सीरीज कंपनी के कृष्ण कुमार, सुनील दारा और संजीव चावला के खिलाफ आदेश दिया। अदालत ने अपने सामने पेश किए सबूतों का जिक्र कर कहा कि घटनाओं की कड़ी, बातचीत का रिकॉर्ड, आचरण और आसपास के हालात से पता चलता है कि कालरा, कुमार और दारा चावला द्वारा हेंसी क्रोनी (मृतक और एक आरोपी) के साथ किए गए सौदों में शामिल थे और इससे यह अनुमान निकलता है कि वे मिलीभगत से काम कर रहे थे और वित्तीय लाभ के लिए क्रिकेट मैच फिक्सिंग के मुख्य उद्देश्य में सह-भागीदार थे।
अदालत ने 11 जुलाई को पारित अपने आदेश में नतीजा निकाला कि चारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ पठित धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और धारा 120 बी के तहत अपराध के लिए आरोप तय करने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री थी। कॉल इंटरसेप्ट के ट्रांसक्रिप्ट की जांच करते हुए, अदालत ने कहा कि ये पता चलता है कि इस दौरान, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच मैचों की एक सीरीज में अगले आगामी मैच के लिए टीम संरचना पर चर्चा की (आरोपी चावला द्वारा क्रोनी से प्राप्त जानकारी के आधार पर), हेंसी क्रोनी के साथ सहमत फिक्स्ड टीम स्कोर/ व्यक्तिगत स्कोर, दांव पर लगाने वाली राशि,पैसे की पूलिंग, अगर खिलाड़ी तय योजना के अनुसार प्रदर्शन नहीं करते हैं, तब उनका अंतर, बेटिंग/मैच फिक्सिंग आदि के दौरान पैसे का लेनदेन।
अदालत ने कहा कि यह कहावत कि सच्चाई कल्पना से भी परे होती है, क्रिकेट के मामले में किसी भी अन्य खेल की तुलना में अधिक सच है और खेल के बारे में केवल एक चीज अनुमानित थी, वह थी उसकी अप्रत्याशितता। वास्तव में, क्रिकेट की इतनी चौंका देने वाली लोकप्रियता के कारणों में से एक अनिश्चितता का तत्व और विशेषज्ञों द्वारा भी परिणामों की भविष्यवाणी की कमी है।