नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की ओर से ऊर्जा क्षेत्र में अनियमितताओं की जांच के लिए नियुक्त किए गए जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मामले पर रिएक्ट किया जिसकी वह जांच कर रहे थे। इधर जस्टिस रेड्डी ने जांच आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रेड्डी पर निष्पक्षता के मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। मामला तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार की ओर से कथित बिजली क्षेत्र की अनियमितताओं से जुड़ा है। तेलंगाना सरकार ने कहा कि सोमवार तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केसीआर के वकील से सहमति जताई और कहा कि जस्टिस रेड्डी के कमेंट से राजनीतिक प्रतिशोध की बू आती है। हालांकि, रेवंत रेड्डी सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने रोहतगी की दलीलों का जोरदार खंडन किया। बता दें कि विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद, रेवंथ रेड्डी सरकार ने 14 मार्च को जस्टिस रेड्डी आयोग का गठन किया था। इसे 90 दिनों में सिफारिशें देने का आदेश दिया गया था। लेकिन सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने 11 जून की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और कहा कि पहली नजर में टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मुद्दे में सही-गलत पर टिप्पणी की, जिसकी वे जांच कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने केसीआर के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलों को स्वीकार किया। रोहतगी ने कहा था कि जस्टिस रेड्डी ने 16 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बारे में टिप्पणी करके अपना पक्षपातपूर्ण रवैया दर्शाया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जस्टिस रेड्डी की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि उन्होंने उस मामले पर रिएक्ट किया जिसकी वह जांच कर रहे थे।
रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि केसीआर ने ऐसा कौन सा अपराध किया है कि उन्हें इस तरह के राजनीतिक प्रतिशोध का सामना करना पड़े? पूरी जांच राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। जब रिटायर्ड जज पहले ही अपना मन बना चुके हैं और केसीआर के जवाब देने से पहले ही निष्कर्षों के बारे में टिप्पणी कर चुके हैं तो उन्हें जांच आयोग से क्या निष्पक्षता की उम्मीद है? वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रेवंत रेड्डी सरकार की ओर से जांच आयोग की नियुक्ति का बचाव किया। उन्होंने कहा कि जांच आयोग के निष्कर्ष प्रकृति में सिफारिशी होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री के पास निष्कर्षों को चुनौती देने के लिए दीवानी और आपराधिक कानून के सभी उपाय खुले रहेंगे। जस्टिस रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को सूचित किया कि रिटायर्ड जज ने जांच आयोग से खुद को अलग करने की इच्छा व्यक्त करते हुए एक पत्र भेजा है। इसी के साथ तेलंगाना सरकार सोमवार तक नए अध्यक्ष की घोषणा करेगी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से निष्पक्षता मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए आलोचना किए जाने के बाद, जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार की ओर से कथित बिजली क्षेत्र में अनियमितताओं की जांच करने वाले एक सदस्यीय आयोग के रूप में काम करना बंद कर दिया। तेलंगाना सरकार ने कहा कि वह सोमवार तक नए अध्यक्ष की घोषणा कर देगी। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने के.सी.आर. के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से सहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस रेड्डी ने 16 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बारे में टिप्पणी करके अपनी पूर्व-निर्धारित सोच का परिचय दे दिया, जिस मुद्दे की उन्हें जांच करनी थी।