लोकसभा अध्यक्ष बिरला की सांसदों को चेतावनी, भूलकर भी आसन को चुनौती ना दें

नई दिल्ली । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारतीय जनता पार्टी के सदस्य अभिजीत गंगोपाध्याय और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में गुरुवार को सदस्यों से कहा कि वे सदन की मर्यादा रखें और आसन को चुनौती नहीं दें। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर कांग्रेस सदस्यों ने गंगोपाध्याय की आपत्तिजनक टिप्पणी का विषय उठाया।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा, कोई भी सदस्य सदन की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली टिप्पणी करे, वे दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका कहना था, सदस्य चाहे सत्तापक्ष का हो या विपक्ष का हो, अगर वे सदन की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली टिप्पणी करते है, तब शब्दों को कार्रवाई से हटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही उचित कार्रवाई करने या उचित टिप्पणी करने का अधिकार भी अध्यक्ष को है। रीजीजू के अनुसार, जब गंगोपाध्याय ने टिप्पणी की, तब वे लोकसभा में नहीं, बल्कि राज्यसभा में थे।
बिरला ने कहा, इस सदन की एक मर्यादा है। उच्च परंपरा और परिपाटी रही है। मेरा सभी लोगों से आग्रह है कि सदन में अपनी बात रखें, चर्चा में भाग लें, लेकिन कोई ऐसी टिप्पणी नहीं करें जो संसद की मर्यादा और संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं हो।
बिरला का इशारा अभिषेक बनर्जी द्वारा सदन में की गई टिप्पणी की ओर था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य जितना सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा रखते हैं, उतना ही उनके क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। सदन में केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेकर गंगोपाध्याय ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
उनके वक्तव्य के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने गोडसे को लेकर कोई टिप्पणी की, इसपर पलटवार कर गंगोपाध्याय ने उनके लिए एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया जिसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध कर माफी की मांग की।
दूसरी तरफ, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बजट पर चर्चा में भाग लेकर नोटबंदी और लॉकडाउन का उल्लेख किया था, तब लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा, वर्ष 2016 के बाद दो बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। आप बजट पर बात कीजिए। अध्यक्ष का इशारा 2019 और 2024 में हुए आम चुनावों में भी भाजपा नीत राजग के सत्ता में आने की ओर था। फिर बनर्जी ने किसी का नाम लिया, जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया।
इस पर बिरला ने कहा कि सदस्य उन लोगों के नाम नहीं लें जो सदन के अब सदस्य नहीं हैं। इस पर बनर्जी ने बिरला से कहा कि जब सत्तापक्ष के सदस्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेते हैं या देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लेते हैं, तब आसन उस पर कुछ नहीं बोलता, यदि कोई आपातकाल की बात करे, तब अध्यक्ष चुप रहते हैं।