नई दिल्ली । शोले फिल्म का जबरदस्त डायलॉग बेटा सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा। यह कहते हुए कोर्ट ने गवली को जमानत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली की रिहाई पर रोक के फैसले को बरकरार रखा है। गवली हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और उनकी समय से पूर्व रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश में रोक लगा दी थी और अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन जून को हाई कोर्ट के फैसले के अमल पर रोक लगा दी थी और सुनवाई टाल दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान अपने तीन जून के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि वह गवली को किसी भी तरह की राहत देने के इच्छुक नहीं हैं और अंतरिम रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में अपील पर आखिरी सुनवाई 20 नवंबर को होगी। गवली की समय से पूर्व रिहाई का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के सामने आया था। तब हाई कोर्ट ने पांच अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि याचिका पर राज्य की अथॉरिटी विचार करे। हाई कोर्ट ने राज्य की 2006 की रिमिशन पॉलिसी (समय से पूर्व सजा में छूट की नीति) के तहत गवली की अर्जी पर विचार करने को कहा था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि यह बात पता होना चाहिए कि सभी अरुण गवली नहीं हैं। शोले मूवी में एक फेमस संवाद है ।।।सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जाएगा। यही केस यहां भी है। गवली की ओर से पेश रामाकृष्णन ने कहा कि गवली बीमार हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। वह लंग्स की बीमारी से ग्रसित हैं। तब सरकारी वकील ने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्होंने 40 साल स्मोकिंग की है। तब रामाकृष्णन ने कहा कि इसका क्या मतलब है। क्या इसलिए आप उन्हें अंदर रखेंगे। क्या यह स्मोकिंग के लिए ट्रायल चल रहा है?