प्राकृतिक खेती ने खोले समृद्धि के द्वार : गुजरात के युवक ने सब्जी की बुवाई की, तीन वर्ष में आय 700 प्रतिशत के पार

पहले वर्ष में आय 55 हजार रुपए, तीसरे वर्ष में आय 4.4 लाख रुपए से अधिक

इस वर्ष वर्षा के मौसम में स्ट्रॉबेरी के 25 हजार पौधे बोए, प्राकृतिक खेती कर आदिवासी युवक बना आत्मनिर्भर
अहमदाबाद | ‘हमारा डांग, प्राकृतिक डांग’ अभियान अंतर्गत दक्षिण गुजरात के वनवासी क्षेत्र डांग को वर्ष 2021 में संपूर्ण प्राकृतिक खेतीयुक्त जिला घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राकृतिक खेती की व्यापकता बढ़ाने के लिए सघन प्रयास शुरू किए हैं और इस वर्ष केन्द्रीय बजट में भी समग्र देश में लगभग 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने की घोषणा की गई है। गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में सघन प्रयासों से आज राज्य में प्राकृतिक खेती की व्यापकता बढ़ रही है। डांग को प्राकृतिक खेतीयुक्त जिला घोषित किए जाने के बाद यहाँ खेती से जुड़े आदिजाति युवाओं के जीवन में उल्लेखनीय परिणाम देखने को मिले हैं। जिला मुख्यालय आहवा तहसील के गलकुंड गाँव में रहने वाले राजूभाई साहर की साफल्य गाथा प्राकृतिक खेती की सफलता को दर्शाती है।
2 हेक्टेयर क्षेत्र में टपक सिंचाई पद्धति से खेती, 2023 में मुनाफा 3 लाख रुपए के पार
40 वर्षीय राजूभाई बुधाभाई साहर ने बागवानी विभाग द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ बागवानी खेती की शुरुआत की थी। उन्होंने वर्ष 2021 में 2 हेक्टेयर क्षेत्र में करेले की बुवाई कर 55 हजार रुपए की आय अर्जित की थी, जिसमें उन्हें 40 हजार रुपए का मुनाफा हुआ था। प्राकृतिक खेती में अच्छी उपज मिलने से उन्होंने विभिन्न फसलें लगाना शुरू किया और वर्ष 2023-24 में मल्चिंग तथा टपक सिंचाई पद्धति से मिर्च, करेला, टमाटर तथा ब्रोकली की बुवाई कर 4 लाख 40 हजार रुपए की आय अर्जित की। तीन वर्ष के भीतर ही उनकी आय में 700 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
“मैं नए प्रयोग करता हूँ, इस वर्ष मैंने स्ट्रॉबेरी के 25 हजार पौधे लगाए”
राजूभाई प्राकृतिक पद्धति से खेती के अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं, “इस पद्धति से उपज अच्छी मिल रही है। हम मौसम के अनुसार करेला, टमाटर, कटहल, धान आदि फसलें बोते हैं। ब्रोकली डांग के लोगों के बीच बहुत प्रचलित नहीं है, परंतु मैंने उसका प्रयोग किया। गत वर्ष मैंने स्ट्रॉबेरी के 7 हजार पौधे बोए थे और मुझे उसमें शत प्रतिशत मुनाफा मिला था। इस वर्ष मैंने स्ट्रॉबेरी के 25 हजार पौधे बोए हैं।”
“सरकार हमें सब्सिडी देती है”
राजूभाई ने कहा कि उनके परिवार में कुल चार भाई हैं, जो प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। राजूभाई की संतानों में दो बड़ी बेटियाँ और एक बेटा हैं, जो इस समय पढ़ाई करते हैं। सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता के विषय में उन्होंने कहा, “हमें बागवानी विभाग की ओर से सब्सिडी मिलती है। हमें अधिकारियों की ओर से आवश्यक प्रशिक्षण एवं सहायता; दोनों मिलते हैं।” बागवानी विभाग द्वारा कच्चे (अस्थायी) मंडप, बीज, प्लास्टिक आवरण, पैंकिंग मटीरियल्स तथा आम के पौधे के लिए सहायता दी जाती है।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को 1,603 लाख रुपए की सहायता
राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण एवं सहायता का प्रावधान किया है। राज्य में किसानों के बीच प्राकृतिक खेती का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो रहा है और इसके फलस्वरूप किसान अब प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ रहे हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान तीन वर्षों में प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों को 1,603 लाख रुपए की सहायता दी गई है।