सरकार पर लगाया कम्युनिटीज के बीच में विवाद पैदा करने का आरोप
10 साल में पहली बार जेपीसी के पास बिल
नई दिल्ली । केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया। इस बिल का कांग्रेस, सपा, एनसीपी (शरद पवार), एआईएमआईएम, टीएमसी, सीपीआई(एम), आईयूएमएल, डीएमके, आरएसपी ने विरोध किया। विपक्ष के विरोध को देखते हुए सरकार ने खुद बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का भी प्रस्ताव रखा। दरअसल, विगत लोकसभा चुनाव में विपक्ष मजबूत होकर उभरा है। इसका असर सदन में भी दिखने लगा है। विपक्ष के विरोध और दमदारी का ही असर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के शासनकाल में पहली बार किसी बिल को जेपीसी के पास भेजा गया है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल राव ने कहा- सरकार कम्युनिटीज के बीच में विवाद पैदा करना चाहती है। ्रढ्ढरूढ्ढरू सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, इस बिल को लाकर आप (केंद्र सरकार) देश को जोडऩे का नहीं, बल्कि बांटने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक इस बात का सबूत है कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं। किरेज रिजिजू ने कहा कि वक्फ एक्ट में पहले भी संशोधन हुए हैं। हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बदलाव कर रहे हैं। इस कमेटी को आपने (कांग्रेस) ही बनाया था। वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा। अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी। बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
विपक्ष ने कहा- यह संविधान पर हमला है
जैसे ही संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में जैसे ही विधेयक पेश किया तो विपक्ष के सासंदों ने हंगामा खड़ा करना शुरू कर दिया। विपक्ष ने एक सुर में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह संविधान पर हमला है। इसके जवाब में रिजिजू ने कहा कि वक्फ विधेयक में किसी भी धार्मिक समुदाय की आजादी में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मसौदा कानून में कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है।
जदयू-तेदेपा का सरकार को समर्थन
उधर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) और तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के संचालन में पारदर्शिता लाना है। लोकसभा में सरकार द्वारा विधेयक पेश करने के बाद जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सदन में कई सदस्यों ने वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि यह मुस्लिम विरोधी है। विपक्ष ने इस दौरान राम मंदिर का उदाहरण दिया। क्या आप मंदिर और संस्थान के बीच का फर्क नहीं जानते? यह किसी मस्जिद में हस्तक्षेप से जुड़ा मामला नहीं है। यह कानून एक संस्थान में पारदर्शिता के लिए लाया जा रहा है।’
केंद्रीय गृह मंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना
अमित शाह ने विपक्ष पर मुसलमानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में संशोधन की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि इसमें बहुत सारी गलतियां हैं। वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलना भी है। बताया गया है कि वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 रखा जाएगा। सदन में इस विधेयक को पेश करने से पहले, मंगलवार की रात इसे सभी लोकसभा सांसदों के साथ साझा किया गया।
वक्फ संशोधन बिल के विरोध में किसने-क्या कहा…
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, हम हिंदू हैं लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनावों के लिए खास है। आप यह नहीं समझते कि पिछली बार भारत की जनता ने आपको साफ तौर पर सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- वक्फ प्रॉपर्टी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है। वक्फ प्रॉपर्टी का मतलब मस्जिद और दरगाह की जगह है। सरकार कह रही है कि हम महिलाओं को मैंबर बनाएंगे। क्या वे बिलकिस बानो को मैंबर बनाएंगे। यह सरकार मुसलमानों की दुश्मन है।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, यह आर्टिकल 30 का सीधा उल्लंघन है जो अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों का प्रशासन करने से संबंधित है। यह विधेयक एक विशेष धार्मिक समूह को टारगेट कर रहा है।
एनसीपी(एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, इस बिल को या तो वापस ले लें या इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दें। किसी से सलाह लिए बिना एजेंडा आगे न बढ़ाएं। बिल का ड्राफ्ट सांसदों के पास पहुंचने के पहले मीडिया में पहुंचा। इस पर स्पीकर ओम बिड़ला ने बताया कि 6 अगस्त को बिल सांसदों के पास भेजा गया था। सांसद पोर्टल चेक करें।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- वक्फ बोर्ड मस्जिदों का प्रबंधन करता है। आप वक्फ की ताकत खत्म करके डीएम राज लाना चाहते हैं। वक्फ की प्रॉपर्टी को कब्जा मुक्त कराकर यह बिल लाना चाहिए था।
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा- यह बिल सोची समझी राजनीति के तहत पेश हो रहा है। वक्फ में गैर मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य नहीं है। अगर आप जिलाधिकारी को ताकत दे देंगे तो गड़बड़ी होगी। भाजपा हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है।
नाराज होकर आसंदी छोड़ी धनखड़ ने
विनेश फोगाट की अयोग्यता के मामले पर संसद में गुरूवार को हंगामा हुआ। इस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने को कहा। जिस पर मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, सर मैं बस यह कहना चाहता हूं कि कल भी हमने इस मुद्दे को उठाया था। यह काफी अहम मुद्दा है। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें टोक दिया और कहा, क्या आप इस पर चर्चा चाहते हैं। जिस पर खरगे ने कहा, हां हम चर्चा करना चाहते हैं। इसके पीछे कौन हैं। यह कैसे हो गया। जिस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। हम सदन को इस तरह का प्लेटफार्म नहीं बनने देंगे। आप को नियम मनानें होंगे। उन्होंने आगे कहा, कि मेरे लिए यह चुनौती नहीं हैं। यह यह राज्यसभा के सभापति के पद के लिए चुनौती है। उन्हें लगता है कि इस कुर्सी पर बैठा व्यक्ति इसके लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि वो दुखी मन से चेयर से उठ रहे हैं।
विनोद उपाध्याय / 08 अगस्त, 2024