जैन मुनि संधान सागरजी का अवतरण दिवस आज मनेगा

:: रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में श्रावक-श्राविकाएं बड़ी संख्या में पहुंचेंगे दर्शन लाभ लेने ::
इन्दौर । रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में बुधवार 25 सितंबर को मुनि प्रमाण सागर महाराज के सान्निध्य में मुनि संधान सागर का अवतरण दिवस प्रात: काल मनाया जाएगा। मुनि संधान सागर ने गुरू दीक्षा आचार्य विधासागर महामुनिराज से ली है। मुनिश्री का जन्म जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। मुनिश्री का बचपन का नाम रिंकू था एवं उन्होंने एम.काम, एन.डी.डी.वाई, एन.सी.सी. (ए-ग्रेड) में की है। परिवार में माता-पिता के साथ ही दो भाई मोनिक एवं मोहित हैं। मुनिश्री ने संयम के पथ पर चलते सन 2004 अमरकंटक में आजीवन नमक व शक्कर का त्याग किया, 2002 नेमावर में एक भुक्ति नियम, 2002 में चटाई त्याग एवं 2008 में केशलोंच नियम किया। मुनिश्री ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन 28 फरवरी 2002 को लिया। वहीं मुनिश्री संधान सागर के वैराग्य लेने का कारण संसार, शरीर व भोगों से उदासीनता रही। मुनिश्री ने 16 नवंबर 2001 (दीपावली के दूसरे दिन) गृह त्याग दिया था। मुनिश्री की दीक्षा 31 जुलाई 2015 शुक्रवार को दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र बीना बारहा. तह. देवरी, जिला सागर में हुई। मुनि संधान सागर की रूचि योग, सेवाकार्य, धार्मिक कार्य, विधान, संगीत और गायन में है। मुनिश्री ने ब्रह्मचर्य अवस्था में सम्मेद शिखर की वंदना 70 बार, पर्वतराज की परिक्रमा 20 बार, ध्यान का अभ्यास 48 घंटे (पावापुर, जलमंदिर), 24 घंटे (रांची चातुर्मास), 24 घंटे (गुणायतन शिखर) रही। मुनिश्री अवस्था में 24 घंटे (बीना बारहा), 48 घंटे (रामटेक), 36 घंटे (खजुराहो) में रही। मुनिश्री ने बिहार, झारखंड, बंगाल में लगभग अर्द्धशतक से अधिक पाठशालाओं में निर्देशन दिया है। वहीं मुनि प्रमाण सागर महाराज के बहुचर्चित कार्यक्रम शंका समाधान को शुरू कराने का श्रेय मुनि संधान सागर को हैं।