-हिजबुल्लाह नेता की कब्र चरमपंथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत न बन जाए
वाशिंगटन । हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही हैं। इस बात की अटकलें हैं कि नसरल्लाह को इराक के कर्बला में दफनाया जा सकता है, लेकिन यह बेहद संवेदनशील है, न केवल हिजबुल्लाह और अरब देशों के लिए, बल्कि इजरायल और अमेरिका के लिए भी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नसरल्लाह का अंतिम संस्कार पूरी इस्लामिक रीति-रिवाज से किया गया, तो वह स्थान चरमपंथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत ना जाए, जिससे आतंकवाद की नई लहर शुरू हो सकती है। इस डर के चलते अमेरिका ने 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद उसके शव को समुद्र में दफना दिया था, ताकि उसकी कब्र चरमपंथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत न बने।
नसरल्लाह की इजरायली हवाई हमले में मौत हो गई थी उसके शव को लेबनान, कर्बला या ईरान के नजफ में दफनाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, हिजबुल्लाह ने अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। नसरल्लाह की मौत के बाद दुनिया भर के शिया मुस्लिम समुदाय में मातम पसरा हुआ है, और उन्हें शहीद का दर्जा दिया जा रहा है। इस स्थिति पर इजरायल और अमेरिका नजर रख रहे हैं, क्योंकि इस बात की संभावना है कि नसरल्लाह का दफन करने स्थान आतंकियों के लिए नया शहीदी स्थल बन सकता है। इजरायल की रणनीति भी अमेरिका जैसी ही है, जो आतंकियों की लाशों को अज्ञात स्थानों पर दफनाते हैं ताकि उनके समर्थक उन्हें शहीद न मान लें और उनकी कब्रों को स्मारक न बना सकें।
बता दें अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के शव डीएनए टेस्ट के बाद अरबी रीति-रिवाज से नहलाया और फिर उसे समुद्र में दफन दिया था। इजरायल भी इसी नीति का पालन करता रहा है, विशेष रूप से आतंकियों के मामले में, ताकि उनकी कब्रें चरमपंथियों के लिए प्रेरणा का स्रोत न बनें। नसरल्लाह की मौत से उपजी स्थिति को देखते हुए, इजरायल और अमेरिका इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं, और इस बात की संभावना है कि उनके अंतिम संस्कार को लेकर भी कोई बड़ी राजनीतिक और सामरिक हलचल हो सकती है।