नई दिल्ली । इजरायल-ईरान तनाव के बीच मिडिल-ईस्ट की स्थिति तेजी से बदल रही है। दुनिया के तमाम देश इस पर नजर रख रहे हैं। अमेरिका ने 43 हजार सैनिक तैनात करने का फैसला किया है तो ब्रिटेन भी अपनी सेना बढ़ाने की बात कह रहा है। कुल मिलाकर ये दोनो ही देश आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इधर भारत ने शुरु से ही शांति का संदेश देने की कोशिश की है। भारत की नजदीकी इजरायल और ईरान दोनों से बराबर की रही है। हालांकि इसके बावजूद तनाव के समय में मिडिल-ईस्ट में भारतीय सेना की एकाएक तैनाती बिना कहे भी बहुत कुछ कह रही है। भारतीय नेवी के तीन जहाज इस वक्त ईरान के पोर्ट पर खड़े हैं। फारस की खाड़ी में ट्रेनिंग मिशन के तहत मंगलवार को भारतीय नौसैनिक जहाज- आईएनएस शार्दुल, आईएनएस तीर और आईसीजीएस वीरा ईरान के बंदर अब्बास पहुंचे। भारत के इन नेवी शिप का स्वागत ईरानी नौसेना के जहाज़ ज़ेरेह ने किया। यह कदम भारत और ईरान के बीच बढ़ते नौसैनिक सहयोग के लिए हो रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह आदेश दिया है कि जल्द ही मिडिल ईस्ट में अमेरिका के कुल सैनिकों की संख्या 43,000 तक पहुंच जाएगी। मौजूदा वक्त में वहां अलग-अलग देशों में कुल 40 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। अमेरिका इस जंग में इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। ईरान से तनाव के बीच आने वाले वक्त में लड़ाई छिड़ने का खतरा बना हुआ है। यही वजह है कि अमेरिका ने अतिरिक्त तीन हजार सैनिक मिडिल-ईस्ट में भेजने का ऐलान किया है। एक आम समय में हर वक्त मिडिल-ईस्ट में अमेरिका के करीब 34 हजार सैनिकों की तैनाती रहती है। पिछले साल गाजा में इजरायल के एक्शन के बाद कुछ समय के लिए इसे बढ़ाकर करीब 50 हजार तक भी पहुंचा दिया गया था। हालांकि बाद में इसे कम कर दिया गया।अब अमेरिका के साथ-साथ नाटो में उसके सबसे खास पार्टनर ब्रिटेन ने भी मिडिल-ईस्ट में अपनी सैना बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। साथ ही पिछले कुछ दिनों में ब्रिटेन में 700 अतिरिक्त सैनिक वेस्ट-एशिया में भेज दिए हैं। मिडिल-ईस्ट के देश साइप्रस में ब्रिटेन के सैनिक स्टेशन किए गए हैं। यह देश ब्लैक सी में स्थित हैं। ईजरायल के साथ ब्रिटेन भी इस युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।