पीएम मोदी का मंदिर बनवाया पूजा की- जब उपेक्षा और अनदेखी का फल मिला तो भाजपा छोड़ दी

पुणे । भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अटूट आस्था थी। जिसके चलते पीएम मोदी का मंदिर बनवाया और दोनों टाइम पूजा की। तीन साल तक पूजा के बाद अब फल के तौर पर मयूर मुंडे को उपेक्षा और अनदेखी मिली है। इससे वे नाराज हो गए और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। मुंडे ने कहा कि मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं पीएम मोदी का कट्टर समर्थक हूं और उनके लिए काम करता हूं। मगर, पार्टी में हमारे जैसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची है। इसलिए मैंने यह फैसला लिया है।बता दें कि मयूर मुंडे ने साल 2021 में मोदी मंदिर का निर्माण करवाया, जो काफी सुर्खियों में रहा था।
मयूर मुंडे ने कहा, मैंने कई बरसों से वफादार पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम किया है। मैं विभिन्न पदों पर रहा और ईमानदारी से पार्टी के लिए काम किया। मुंडे ने बताया कि भाजपा वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है और अन्य राजनीतिक दलों से शामिल होने वालों को महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक अपना समर्थन आधार बढ़ाने में लगे हुए हैं और इसके लिए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। दूसरे दलों से आने वालों को पार्टी के विभिन्न पद दिए जा रहे हैं। मुंडे ने कहा कि पुराने पदाधिकारियों का अपमान हो रहा है। अब उन्हें पार्टी की बैठकों में भी नहीं बुलाया जाता है। उनकी राय तक नहीं सुनी जा रही और उन्हें चुनाव प्रक्रिया से दूर कर दिया गया है।
दरअसल, महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की पुणे यूनिट के भीतर मतभेद दिख रहे हैं। कोथरुड और खडकवासला के मौजूदा विधायकों पर उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश का आरोप लगा है। ऐसा कहा जा रहा है कि शिवाजीनगर से विधायक सिद्धार्थ शिरोले वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं। इसे लेकर श्री नमो फाउंडेशन के मयूर मुंडे ने शिरोले के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई और अपने आरोपों को सार्वजनिक कर दिया।भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद मुंडे ने कहा, मौजूदा विधायक उन लोगों के इलाकों में विकास निधि खर्च कर रहे हैं जो दूसरी पार्टियों से बीजेपी में शामिल हुए हैं। वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं के क्षेत्र के लिए कुछ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधायक को बीते 5 साल में शिवाजीनगर विधानसभा क्षेत्र में किसी भी 2 प्रमुख परियोजनाओं को लागू करने के लिए धन मिला। उन्होंने इसके लिए कोई प्रयास भी नहीं किया। ऐसे में इस निर्वाचन क्षेत्र का विकास थम गया है।