नई दिल्ली । वाराणसी में साईं बाबा की मूर्तियों को करीब 14 मंदिरों से हटाए जाने के बाद एक व्यक्ति को पुलिस ने हिरासत में लिया, जिसके बाद इस मामले को लेकर लगातार बयान आ रहे हैं। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने तो तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल पूछा है कि जिन लोगों ने 4 से 10 साल पहले साईं बाबा की मूर्तियाँ स्थापित की थीं, क्या उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी आस्था कभी अनास्था में बदल सकती है, जिससे मूर्तियाँ हटाई जा सकती हैं। इसके बाद लगातार बयान आ रहे हैं, जिन्हें लेकर बुद्धिजीवियों ने सवाल किया है, क्या इस तरह से समस्या का समाधान हो सकता है या मामले को राजनीतिक रंग देने के लिए यह सब किया जा रहा है? कुछ ने तो इसे आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखना शुरु कर दिया है।
साईं बाबा मूर्ति मामले को लेकर जहां पक्ष और विपक्ष वाले बयान सोशल मीडिया से लेकर खबरों तक में आ गए हैं तो वहीं कहा जा रहा है कि क्या यह सब महाराष्ट्र के आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है और यह किसी प्रकार का षड्यंत्र तो नहीं है। इस मामले में माता विशालाक्षी देवी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी ने कहा है कि हमारे सनातन धर्म या किसी भी पौराणिक ग्रंथ में साईं बाबा का उल्लेख ही नहीं है। उनमा मानना है कि साईं बाबा एक फकीर हो सकते हैं, लेकिन उन्हें भगवान का दर्जा तो नहीं दिया जा सकता है। इसी के साथ महंत तिवारी ने उस व्यक्ति का समर्थन कर दिया जो कि मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की पहल कर रहा है। उन्होंने कहा है कि अजय शर्मा जो साईं बाबा की मूर्तियों को देवालयों से हटाने का काम कर रहे हैं, वे सही काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, साईं बाबा की मूर्तियां देवालयों में होना ही नहीं चाहिए। वहीं मंगला गौरी मंदिर के पुजारी नरेंद्र कुमार पांडेय ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया है। उनका कहना है कि काशी खंड में कई सनातन और परंपरागत मंदिर हैं, जहां भगवान शंकर स्वयं प्रकट हुए। साईं बाबा भगवान नहीं हैं और हमारे यहां पंचदेव पूजन का विधान है, जिसमें विभिन्न देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा होती है। सवाल करते हुए पांडेय कहते हैं कि साईं बाबा के मंदिर में किस प्रकार से प्राण प्रतिष्ठा हुई, जिससे उनकी पूजा हमारे मंदिरों में हो रही है। इसके साथ ही मंदिरों के महंतों से उन्होंने आग्रह किया कि वे साईं बाबा की मूर्तियों को वहां से हटा दें। इन बयानों के बाद सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर इस समस्या का समाधान किस तरह से निकाला जाए, ताकि टकराव की स्थिति भी न बने और काम भी हो जाए। मालूम हो कि साईं बाबा के प्रति आस्था रखने वालों ने भी इस संबंध में एकजुटता दिखाने और मुर्तियों को बचाने के लिए आगे आने का मन बनाया हुआ है। इसके लिए साईं भक्तों से शांति के साथ एकजुट होने का आग्रह किया जा रहा है। कुछ बुद्धिजीवियों ने इस पर बीच का रास्ता निकालने की सलाह दी है और शांति के साथ समस्या का समाधान खोजने की बात कही है। इनका मानना है कि मामला बढ़ने पर यह सिर्फ वाराणसी या उत्तर प्रदेश से ही जुड़ा नहीं रहेगा बल्कि इसका असर देश के विभिन्न राज्यों तक पहुंचेगा, जिसकी चिंता की जानी चाहिए।