रतन टाटा को मरणोपरांत मिलेगा भारत रत्न? महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी

मुंबई, । भारत के दिग्गज उद्योगपति, पद्म विभूषण रतन टाटा का बुधवार रात मुंबई में निधन हो गया। रतन टाटा के निधन के बाद विभिन्न स्तरों से मांग उठ रही है कि उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिया जाना चाहिए। अब महाराष्ट्र कैबिनेट में रतन टाटा को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि केंद्र से रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए भारत रत्न देने का अनुरोध करने वाले प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में दिग्गज उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बैठक में इस संबंध में शोक प्रस्ताव पेश किया। इस अवसर पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें केंद्र से रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध किया गया। शोक प्रस्ताव में कहा गया कि उद्यमिता भी समाज निर्माण का एक प्रभावी तरीका है। नए उद्योगों की स्थापना से ही देश को आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए दिल में सच्ची देशभक्ति और उतनी ही सच्ची चिंता अपने समाज के लिए होनी चाहिए। हमने रतन टाटा के रूप में एक समान विचारधारा वाले सामाजिक कार्यकर्ता, दूरदर्शी और देशभक्त नेता को खो दिया है। भारत के औद्योगिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक विकास के कार्यों में भी रतन टाटा का योगदान असाधारण था। वह महाराष्ट्र के बेटे थे। भारत गौरवान्वित था। बड़े उद्यमों को चलाने में बरती जाने वाली आत्म-अनुशासन, स्वच्छ शासन व्यवस्था और उच्च नैतिक मूल्यों की कठोर परीक्षाओं को पास कर रतन टाटा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी और भारत की पहचान बनाई। इनके रूप में देश का एक बड़ा स्तंभ ढह गया है। वह टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे। उन्होंने कई वर्षों तक चेयरमैन और बाद में अंतरिम चेयरमैन के रूप में टाटा समूह के मामलों की देखरेख की। उन्होंने देश के सबसे पुराने ट्रस्टों में से एक, टाटा समूह के धर्मार्थ ट्रस्ट के प्रमुख के रूप में बहुत ही परोपकारी रवैये के साथ काम किया। साथ ही, रतन टाटा द्वारा नैतिक मूल्यों को कायम रखना उद्योग में अन्य उद्यमियों और भावी पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा। वह एक सिद्धांतवादी कार्यकर्ता थे। आजादी के बाद देश के पुनर्निर्माण में टाटा समूह ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस समूह के माध्यम से रतन टाटा ने वैश्विक स्तर पर भारत का परचम लहराया। कारों से लेकर नमक तक और कंप्यूटर से लेकर कॉफी-चाय तक, टाटा का नाम कई उत्पादों के साथ गर्व से जुड़ा हुआ है। रतन टाटा ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपना अद्वितीय योगदान दिया। उन्हें मुंबई पर 26/11 हमले के बाद उनकी दृढ़ता के लिए याद किया जाएगा। रतन टाटा ने कोविड काल के दौरान तुरंत पीएम रिलीफ फंड में 1500 करोड़ रुपये दिए। साथ ही अपने अधिकांश होटलों को कोविड के दौरान मरीजों के लिए उपलब्ध कराया। उनकी महानता सदैव याद रखी जायेगी।
उनमें नवप्रवर्तन और परोपकारिता का अद्वितीय समन्वय था। उन्होंने अपने टाटा मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। वह युवाओं के बीच उपलब्धि और प्रयोग को प्रोत्साहित करने में हमेशा आगे रहते थे। उन्होंने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जैसे दूरदराज के इलाकों में युवाओं को अवसर और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक नवाचार केंद्र शुरू किया। हमें उन्हें महाराष्ट्र सरकार का पहला उद्योग रत्न पुरस्कार प्रदान करने का सौभाग्य मिला। उनके मार्गदर्शन से महाराष्ट्र को सदैव लाभ हुआ है। रतन टाटा के निधन से हमारे देश और महाराष्ट्र को अपूरणीय क्षति हुई है। महाराष्ट्र कैबिनेट टाटा समूह के विशाल परिवार की दुःख में शामिल है। उनकी आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना। महाराष्ट्र के सभी नागरिकों की ओर से राज्य मंत्रिमंडल ने देश के इस महान सपूत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।