::गिरफ्तारी के बाद पीएफआई से संबंध का लाॅ स्टू़डेंट पर था आरोप, सुप्रीम कोर्ट से मिली है जमानत::
इन्दौर | मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर की एकल पीठ के जस्टिस दिनेशकुमार पालीवाल की कोर्ट ने कोर्ट की कार्रवाई का वीडियो बनाने वाली लॉ स्टूडेंड सोनू मंसूरी के खिलाफ आरोप तय कर ट्रायल चलाने की सहमति दे उसकी याचिका खारिज कर दी। लॉ स्टूडेंट सोनू मंसूरी ने जेएमएफसी कोर्ट द्वारा उसके खिलाफ आरोप तय किए जाने के विरूद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि जेएमएफसी कोर्ट द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है, उसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आता। याचिका सुनवाई करते कोर्ट ने कहा कि एडवोकेट एक्ट में ही साफ लिखा हुआ है कि लॉ करने वाले स्टूडेंट पहले साल में ही काला कोट पहनकर कोर्ट की कार्रवाई देखने नहीं जा सकते तथा किसी सीनियर एडवोकेट के सहायक भी नहीं बन सकते हैं। लॉ स्टूडेंट किसी सीनियर के साथ गई थी भी या नहीं, यह अभी तय नहीं हुआ है। इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाती है। बता दें कि लाॅ स्टू़डेंट सोनू मंसूरी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में एक संवेदनशील मामले की सुनवाई के दौरान सुनवाई की विडियो रिकॉर्डिंग की थी और उस दौरान वह एड्वोकेट ड्रेस कोड में कोर्ट में पहुंची थी जहां अन्य अधिवक्ताओं और पक्षकारों की आपत्ति के बाद उसे कोर्ट रूम से बाहर कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि कोर्ट बजरंग दल के नेता तनु शर्मा से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी और लाॅ स्टू़डेंट उसी कार्यवाही का वीडियो बना रही थी। पुलिस ने लाॅ स्टू़डेंट सोनू मंसूरी पर आरोप लगाया कि उसने पूछताछ में जांचकर्ताओं को बताया कि एक वकील ने उसे वीडियो बनाने के लिए कहा था, जिसे पीएफआई को भेजा जाना था और उसे इस काम के लिए 3 लाख रुपये दिए गए। इसके बाद उसे प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आई है।