दो हिस्सों में बंट जाएगा अफ्रीका, बीच में बन जाएगा नया महासागर

अफ्रीकी प्लेट में विभाजन का कारण बनने वाली दरार बनेगी कारण
वॉशिंगटन । हमारे ग्रह की संरचना और महाद्वीपों की वर्तमान स्थिति तक पहुंचने के लिए धरती ने लाखों सालों का समय लिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आज के सभी महाद्वीप एक विशाल महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे पैंजिया के नाम से जाना जाता है। धीरे-धीरे धरती के अंदरूनी हिस्सों की टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण यह महाद्वीप अलग-अलग हिस्सों में बंट गया, जिससे वर्तमान महाद्वीपों का स्वरूप सामने आया।
वैज्ञानिकों ने अनुमान है कि आने वाले पांच करोड़ सालों में अफ्रीका महाद्वीप दो भागों में विभाजित हो जाएगा और इसके बीच में एक नया महासागर बन जाएगा। अफ्रीका महाद्वीप दुनिया की सबसे बड़ी भूगर्भीय दरारों में से एक द ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट सिस्टम (ईएआरएस) का घर है। यह दरार इथियोपिया से लेकर केन्या, कांगो, युगांडा, रवांडा, बुरुंडी, तंजानिया, मलावी और मोजाम्बीक जैसे देशों के भूभागों को चीरती हुई गुजरती है। अफ्रीकी प्लेट में विभाजन का कारण बनने वाली इस दरार के बढ़ने से अफ्रीकी महाद्वीप दो हिस्सों में बंट जाएगा। सोमालियाई प्लेट और न्यूबियन प्लेट।
इस प्रक्रिया में अफ्रीका के पूर्वी भाग में एक नया महासागर बन जाएगा, जिससे भूमि से घिरे कई देशों जैसे रवांडा, युगांडा, मलावी और जांबिया को समुद्री तट मिलेगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रकार की भूगर्भीय घटनाएं सामान्यतः लाखों वर्षों में घटित होती हैं। इस दरार को बनने में करीब 2.5 करोड़ साल का समय लगा है। अफ्रीकी दरार के आकार का ध्यान सबसे पहले 2018 में तब गया, जब केन्या के एक क्षेत्र में 50 फुट गहरी और 65 फुट चौड़ी दरार दिखाई दी। इस घटना ने भूगर्भशास्त्रियों और वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया, जिन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह दरार टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल का परिणाम है या फिर भारी बारिश के कारण भूस्खलन का। केन्याई भूगर्भशास्त्री का कहना है कि इस घाटी का भूगर्भीय इतिहास ज्वालामुखी और टेक्टोनिक गतिविधियों से जुड़ा है, जो कि इसकी गहराई में हो रही गतिविधियों को संकेत करता है।
एक शोधकर्ता ने द गार्जियन में लिखा कि इस दरार के बनावट के पीछे हाल की भारी बारिश कारण हो सकती है लेकिन पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता के मुताबिक यह दरार पुराने दोष स्थानों में मिट्टी के कटाव का परिणाम हो सकती है। धरती के इतिहास के दौरान महाद्वीप तीन बार एक साथ आए और फिर से अलग हो गए, जो यह संकेत करता है कि पृथ्वी के विकास क्रम में बदलाव लगातार जारी रहते हैं। ऐसे में यह आश्चर्य की बात नहीं होगी यदि वैज्ञानिकों का यह अनुमान सही साबित हो जाए और अफ्रीका भविष्य में दो महाद्वीपों में बंट जाए।