इन्दौर | 25 साल पहले पत्नी की मौत पर उसको आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण मामले में आरोपी बनाए गए उसके पति को ट्रायल कोर्ट न्यायाधीश ने दोषी करार देते सज़ा सुनाई थी जिसके विरुद्ध उसने हाइकोर्ट में क्रिमिनल अपील दायर की थी। 24 साल पहले हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले के विरुद्ध दायर की गई क्रिमिनल अपील पर अब हाईकोर्ट की सिंगल बेंच का फैसला आया, जिसमें आरोपी को धारा 306/34 के आरोप से बरी कर दिया गया है। प्रकरण के बारे में एडवोकेट नीलेश मनोरे के अनुसार आरोपी नूरू उर्फ नूरसिंह के खिलाफ सन् 1999 में उसकी पत्नी रिछाबाई के फांसी लगा खुदकुशी करने के बाद आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण का दर्ज हुआ था। मामले में नूरसिंह का पिता भी आरोपी था, लेकिन अपील लंबित रहने के दौरान उसकी मौत हो गई थी। प्रकरण सुनवाई करते ट्रायल कोर्ट ने सन् 2000 में उसे दोषी करार देते हुए तीन वर्ष के कारावास और पांच सौ रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी। हालांकि केस में उसे जमानत सजा सुनाए जाने के करीब तीन माह बाद ही मिल गई थी। तब उसकी उम्र लगभग 26 वर्ष थी। अब जब हाईकोर्ट से वह बरी हुआ तो लगभग 50 साल का हो चुका है।