अब 3 वर्ष में न्याय मिल जाएगा, न्याय के लिए वर्षों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा : अमित शाह

भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सबसे आधुनिक और तेज बनाने की शुरुआत हो चुकी

50वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित
गांधीनगर | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की उपस्थिति में मंगलवार को गांधीनगर जिले की दहेगाम तहसील के लवाड स्थित राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी में आयोजित अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन के ऐतिहासिक स्वर्ण जयंती समारोह को उद्घाटन किया। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) और राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में 50वां अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन 19 और 20 नवंबर तक चलेगा। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन में वे चौथी बार शामिल हो रहे हैं। पहली बार लखनऊ में हुए कार्यक्रम में वे सहभागी बने थे। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन को प्रभावी बनाने के लिए सतर्कता काफी जरूरी है, ताकि यह कार्यक्रम केवल मीटिंग का बहाना बनकर न रह जाए। शाह ने कहा कि देश, दुनिया और अपराध जगत में जिस तरह से परिवर्तन आ रहा है, उसके मद्देनजर पुलिस को अपराध के खिलाफ लड़ने की क्षमता दिखाने वाले सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। जब पुलिस विज्ञान कांग्रेस ने इस दायित्व को स्वीकार किया है, तब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसके नए स्वरूप और बदलाव के साथ अनुसंधान और विकास, इन दो शब्दों को जोड़कर जन-जन तक सुरक्षा पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि आने वाली चुनौतियों को समझे बिना कोई भी योजना बनाई जाए, तो उसमें सफलता कभी नहीं मिल सकती। भारत आगामी 20 वर्षों में प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी बनेगा। इन 10 वर्षों में सभी को टेक्नोलॉजी के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ना है। किसी भी व्यवस्था में जब आगे बढ़ते हैं, तब बाधाएं आती हैं, जिसे दूर कर आगे बढ़ने पर आश्चर्यजनक सफलताएं भी प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि अप्रैल-2028 से पहले हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के नागरिक के रूप में गर्व करेंगे। शाह ने कहा कि कोरोना के संकट के दौरान भारत दुनिया के अन्य देशों के लिए अधिक चिंता का विषय था, क्योंकि 140 करोड़ की आबादी के साथ भारत कैसे इस महामारी का मुकाबला करता है, यह सोचने का विषय था। ऐसे में हमारी वैदिक परंपरा और आयुर्वेद की संस्कृति के साथ हम अन्य देशों की तुलना में सर्वाधिक मजबूती के साथ टिके रहे और कम से कम नुकसान के साथ फिर से खड़े भी हुए। इसके साथ ही, हमने भारत की आंतरिक सुरक्षा और न्याय प्रणाली में आमूल परिवर्तन लाए हैं। उन्होंने कहा कि बदलाव के बिना सफलता नहीं मिलती। आने वाले समय में भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सबसे आधुनिक और सबसे तेज बनाने की शुरुआत भी हो चुकी है। जिसमें तीन नए आपराधिक कानूनों की शुरुआत के बाद देश के किसी भी कोने में, किसी भी कोर्ट में अधिक से अधिक तीन वर्ष में न्याय मिल जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वे जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं कि अब न्याय के लिए वर्षों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। हमें लक्ष्य की शुरुआत से लेकर परिणाम यानी सफलता तक जाना है, लेकिन यह सफलता किसी अंक या आंकड़ों से साबित नहीं होती, ना ही ऐसे आंकड़ों से लक्ष्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी पहले और आज की परिस्थिति की तुलना करने पर यह पता चलता है कि इन क्षेत्रों में अब हिंसा में 70 फीसदी की कमी आई है, यह भी हमारी बड़ी सफलता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नारकोटिक्स क्षेत्र में 5 लाख 45 हजार किलोग्राम (वर्तमान मूल्य 35 हजार करोड़ रुपए) का माल जब्त करने में हमने सफलता पाई है। इसका अर्थ यह नहीं है कि नारकोटिक्स के केस बढ़े है, बल्कि पिछले दस वर्ष में हमने हमारी सुरक्षा तथा पुलिस की प्रक्रिया के जरिये यह सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा चार वर्ष में काफी प्रयासों और मेहनत के बाद तीन नए आपराधिक कानून लेकर आए हैं। परिणाम व परिमाण, दोनों दृष्टि से देश की आपराधिक स्थिति पर रोक लगाने के लिए लाभकारी निर्णय भी लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी 17,000 पुलिस स्टेशनों को कंप्यूटराइज्ड कर क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) के साथ जोड़ने का काम पूरा हो चुका है। इसके अलावा, 22000 अदालतों को ई- कोर्ट के साथ जोड़ा जा चुका है और ई-प्रिजन के तहत दो करोड़ से ज्यादा कैदियों का डाटा उपलब्ध है। ई-प्रॉसीक्यूशन से डेढ़ करोड़ से ज्यादा अभियोजन का डाटा उपलब्ध है और ई-फॉरेंसिक के माध्यम से 23 लाख से अधिक फॉरेंसिक रिजल्ट्स का डाटा भी उपलब्ध है। वहीं, नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) के तहत 1 करोड़ 6 लाख लोगों का फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड्स उपलब्ध है। इसी प्रकार, इंडीग्रेटेड मॉनीटरिंग ऑफ टेररिज्म (आई-मोट) में 22000 आतंकवादी गतिविधियो का प्रॉसिक्यूशन पूर्ण होने तक का डेटा तथा इन्वेस्टिगेशन डेटा उपलब्ध है जबकि नेशनल इंटीग्रेटेड डेटाबेस ऑन अरेस्टेड नार्को ऑफेंडर (एनआईडीएएएन) के तहत 7 लाख नार्को ऑफेंडर्स का डाटा भी है। एक लाख ह्यूमन ट्रैफिकिंग ओफेंडर्स का डेटा तथा क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर में 16 लाख अलर्ट भी जनरेट हो चुके हैं। इसके साथ ही, अब जो भी नए कार्य होंगे, वे भी डेटा में जुड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रॉसिक्यूशन, पुलिस, जेल, एफएसएल, सभी को जोड़ने की व्यवस्था के साथ एक प्रक्रिया तैयार हुई है, जो अपराध से सजा और सजा से जेल तक की सारी प्रक्रियाओं से पूर्ण होती है।
इसके साथ ही उन्होंने तीन कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा कि 27 स्थानों पर बदलाव के जरिये जो व्याख्या तैयार की गई है, उसमें टेक्नोलॉजी बदलती रहने के बावजूद कानून की व्याख्या में अब कभी बदलाव नहीं आएगा। अंत में उन्होंने कहा कि 150 वर्ष पुराने कानून में नागरिक केन्द्र में नहीं थे, जबकि नए बने तीनों कानूनों में नागरिक व नागरिक के अधिकार ध्यान में रखे गए हैं। इन तीन कानूनों में सारी चीजें टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ी गई हैं। इसके चलते न्याय प्रक्रिया बहुत तेज बनेगी। उन्होंने देशभर से उपस्थित महानुभावों को संबोधित करते हुए सुझाव दिया कि एआई का उपयोग कर एकत्र किए गए डेटा को परिणाम-उन्मुख बनाकर इससे प्राप्त विश्लेषण द्वारा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। उन्होंने इस विषय को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार करने का सभी से अनुरोध किया।