तीन डीन तीनों प्रभारी, कोर्ट आदेश और शासन की लापरवाही के बाद मजाक बन गया इन्दौर एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन का पद, डीन की सीट पर नहीं बैठे प्रभारी डीन

इन्दौर हाइकोर्ट ने अपने आदेश के तहत वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वीके पाण्डे को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन का प्रभार देने के निर्देश के साथ ही शासन को वरिष्ठता सूची शीघ्र घोषित करने के निर्देश देते विगत दिनों एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे। हाइकोर्ट के निर्णय के बाद डॉ. प्रो. वीके पाण्डे ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन का प्रभार ले लिया था जबकि इसके पहले प्रभारी डीन एम वाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव थे जिन्हें सेवानिवृत्त डीन डाॅ दीक्षित सेवानिवृत्त होने पर शासन द्वारा डीन की नियुक्ति नहीं किए जाने पर अस्थाई रूप से डीन का प्रभार सौप गये थे। उसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर डॉ. प्रो. वीके पाण्डे ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन बन गए थे और डीन बनने के बाद वे विदेश यात्रा पर चले गए जिसके चलते प्रभारी डीन डॉ. पाण्डे, डॉ. नीलेश दलाल को डीन का प्रभार सौंप गए। इसी बीच प्रभारी डीन रहे डॉ. अशोक यादव (एमवायएच अधीक्षक) की ओर से कोर्ट में अंतरिम याचिका लगा उसमें आपत्ति दर्ज कराई कि कोर्ट ने अपने आदेश में उनके पक्ष को नहीं सुना। हाइकोर्ट ने इस पर सुनवाई के बाद सख्त निर्देश दिए कि कोर्ट के ऑर्डर पर आपको किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं है। आप जो स्टेटमेंट दे रहे हैं वो सरासर गलत है। इसके साथ ही डीन के मामले में हाई कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया कि डॉ. वीपी पाण्डे ही डीन का पद संभालेंगे। बता दें कि जब डॉ. पाण्डे ने ज्वाइन किया था तब प्रभारी डीन डॉ. यादव ने लोक स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि डॉ. पाण्डे ने मुझसे विधिवत चार्ज नहीं लिया है। उन्होंने इसके लिए शासन से दिशा निर्देश मांगने के साथ ही हाई कोर्ट में आपत्ति याचिका लगाई थी। जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट कर आपत्ति खारिज कर दी। वहीं दूसरी ओर एक अन्य दिलचस्प घटनाक्रम में डॉ. दलाल ने कालेज पहुंचकर प्रभारी डीन का पद ज्वाइन नहीं करते हुए डीन की सीट पर नहीं उनके सामने वाली सीट पर बैठने के साथ संबंधित कामकाज निपटाया।