4.31 करोड़ के लोन फर्जीवाड़े मामले में 3 बैंक कर्मियों सहित 10 पर केस दर्ज, 10 साल पुराने इस मामले में बैलेंस शीट और आडिट रिपोर्ट बनाने वाला सीए भी फर्जी
इन्दौर दस साल पुराने एक मामले में इओडब्ल्यू ने फर्जी दस्तावेजों के आधार 10 फर्मों को दिए 3.48 करोड़ रुपए के लोन के फर्जीवाड़े में 3 बैंककर्मियों सहित 10 पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। लोन की यह राशि अब ब्याज सहित बढ़कर 4.31 करोड़ हो गई है। आरोपियों में एक फर्जी चार्टर्ड अकाउंटेंट भी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू ने मामले में बैंक कर्मी स्वप्निल पुरोहित, शिरीष सातारकर, रूचिका कैलोत्रा सहित फर्मों के संचालक प्रकाश चंद्र सैनी, रचना सैनी, पारुल जैन, अमित कुमार दुबे, रीनू जैन, रीचपाल सैनी, रजनीकांत, हेमेंद्र सिंह गहलोत, रविशंकर अहिरवार और चार्टड अकाउंटेंट तेजेश सुतारिया सहित अन्य पर धारा 420, 467, 468, 471, 120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया हैं। मामले में नाकोड़ा भैरव गारमेंट्स, माई चॉइस ड्रेसेस, महावीर रेडीमेड गारमेंट, रचना फूड्स, मधुर इंडस्ट्रीज, चैतन्य इंटर प्राइजेज, अरिहंत ट्रेडर्स, श्री राधे फूड्स, डीआर इंटर प्राइजेसज, भावना एपेरल्स को लोन दिया गया था। ईओडब्ल्यू ने शिकायत के बाद जांच में पाया कि आरोपियों ने 28 जून 2014 से 31 दिसंबर 2017 के बीच पैसों का लेनदेन किया था। बैंक कर्मियों और फर्मों द्वारा 4.31 करोड़ की इस धोखाधड़ी मामले की शिकायत बैंक की ओर की गई थी जिसमें बताया गया था कि 10 फर्म को कारोबार के लिए 3.48 करोड़ रुपए का लोन अलग-अलग पतों के फर्जी दस्तावेज के आधार पर दिया गया था।
दस साल पुराना यह मामला बैंक आफ बड़ौदा का है और इस मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू को बैंक ऑफ बड़ौदा के असिस्टेंट जनरल मैनेजर शैलेष कुमार पारख ने की थी। पारख ने अपनी शिकायत में ईओडब्ल्यू को बताया कि जिन लोगों को लोन दिया गया, उन्होंने जिस उद्देश्य से लोन लिया, उसकी जगह दूसरे काम किए तथा लोन का यह पैसा भी बैंक को नहीं लौटाया। जो ब्याज सहित बढ़कर 4.31 करोड़ हो गया इसलिए बैंक की ओर से 4.31 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत की गई इसके बाद इओडब्ल्यू ने सभी फर्म से पूछताछ की। पूछताछ के बाद इओडब्ल्यू ने पाया कि सितंबर 2015 से दिसंबर 2015 में 5 लोन और फिर 2017 में कुल 8 लोन लिए गए। इओडब्ल्यू के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आई कि जब बैंक की ओर से लोन दिया गया तो फर्म के दस्तावेज भी चैक नहीं किए गए और पते के भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी की गई। इओडब्ल्यू ने जांच में जो अनियमितताओं को पकड़ा उनके अनुसार लोन लेने के उद्देश्य से नई फर्म बनाई गई और जिम्मेदारों ने पते का भौतिक सत्यापन नहीं किया वहीं लोन की राशि का भुगतान अकाउंट में न करते हुए नियम विरुद्ध नगद में किया। ईओडब्ल्यू को यह भी पता लगा कि जिस चार्टड अकाउंटेंट तेजस सुतारिया ने फर्म की बैलेंस शीट और ऑडिट रिपोर्ट तैयार की वह भी फर्जी सीए है तथा उसने फर्जी तरीके से बैलेंस शीट और आडिट रिपोर्ट बनाई । ईओडब्ल्यू ने पाया कि इस संबंध में तत्कालीन बैंक मैनेजर मुकेश पंड्या (अब मृत) ने भी गलत रिपोर्ट तैयार की थी।