नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाड़ी देश कुवैत के दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे हैं। कुवैत में पीएम मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। पीएम मोदी के स्वागत में ‘हला मोदी’ कार्यक्रम रखा गया है। 43 साल में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत के दौरे पर पहुंचा है। भारत के परिपेक्ष्य से खाड़ी देश के साथ रिश्ते काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन सऊदी अरब के साथ भारत के रिश्ते कुवैत की तुलना में अधिक ज्यादा और बहुआयामी माने जाते हैं। तो चलिए जानते हैं कि भारत के लिए कौन देश कितना अहम है। सउदी अरब के साथ भार का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 52 बिलियन डॉलर तो कुवैत के साथ इसी समय अवधि में 13 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। सउदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, वहीं, कुवैत छठा है। अगर प्रवासी भारतीयों की बात करें तो सउदी अरब में 26 लाख भारतीय रहते हैं वहीं, कुवैत में भारतीयों की संख्या 10 लाख के करीब है। दोनों देशों की उन्नति और विकास में प्रवासी भारतीयों का बड़ा योगदान माना जाता है।
2023 के आंकड़े के अनुसार, सउदी अरब का कुल जीडीपी 1.11 ट्रिलियन डॉलर है, जो कि मिडिल ईस्ट के देश सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मानी जाती है। तेल और गैस के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार कर रहा है। इसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल भंडार करीब 267 बिलियन बैरल है। वहीं, इस देश की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 60 लाख है। 2023 के डाटा के अनुसार कुवैत का कुल जीडीपी मात्र 173 बिलियन डॉलर है, जो कि सउदी अरब से काफी कम है। कुवैत सरकार का 90 प्रतिशत राजस्व तेल से ही आता है। यानी कि तेल पर निर्भर इकोनॉमी है। कुवैत के पास भी बड़ा तेल भंडार करीब 102 बिलियन बैरल है। मगर इस देश की जनसंख्या सउदी अरब के मुकाबले काफी कम 45 लाख ही है। दोनों देशों में अगर तुलना करें तो सउदी अरब ही काफी अमीर देश है, लेकिन कुवैत की सरकारी संपत्ति कोष 800 बिलियन डॉलर से अधिक है जो कि सऊदी अरब के पब्लिक निवेश कोष 776 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है। अगर प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो कुवैत सउदी अरब से काफी आगे है। सउदी अरब का प्रति व्यक्ति 30,800 डॉलर है तो कुवैत का 37,000 डॉलर है।