प्रयागराज/इन्दौर । जगदगुरू रामानंदाचार्य की 725वीं जयंती पर मंगलवार को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला क्षेत्र में तीनों प्रमुख अखाड़ों, दिगम्बर, निर्वाणी एवं निर्मोही की संयुक्त शोभायात्रा डाकोर-इन्दौर खालसा से निकाली गई। यात्रा में कुंभ मेला में पधारे हुए एक दर्जन से अधिक संत-महंत, महामंडलेश्वर और आचार्य सहित अनेक विद्वान शामिल हुए। पूरे मेला क्षेत्र में यह यात्रा पांच घंटे तक भ्रमण करती रही। इस दौरान भक्तों ने संतों का जबर्दस्त स्वागत किया। हंसदास मठ इन्दौर के श्रीमहंत रामचरणदास महाराज ने सभी संतों-महंतों के सम्मान में भंडारे का आयोजन भी किया।
हंसदास मठ इन्दौर के पं. पवनदास महाराज महाराज ने बताया कि डाकोर-इन्दौर खालसा से निकली इस यात्रा में जगदगुरू रामानंदाचार्य के निशान का पूजन भादवाचार्य महाराज, आचार्य सतुआ बाबा, महंत रामचंद्र दास, हंस पीठाधीश्वर श्रीमहंत रामचरणदास महाराज, बालकिशन दास, वैष्णवदास, तेराभाई त्यागी के ब्रजमोहन दास, खोजी पीठाधीश्वर राधे बाबा, मलूक पीठाधीश्वर दयाराम दास महाराज, जगदसीश दास, हरिओम दास, मुरली दास, महेन्द्र दास सहित अनेक संत-महंत शामिल हुए। दोपहर 2 बजे प्रारंभ हुई यात्रा पूरे मेला क्षेत्र में भ्रमण करते हुए जहां-जहां से गुजरी हजारों भक्तों ने जगह-जगह स्वागत किया। समूचे मेला क्षेत्र में पांच घंटे तक भ्रमण के बाद यात्रा पुनः डाकोर-इन्दौर खालसा पर परिपूर्ण हुई, जहां जगदगुरू रामानंदाचार्य के चित्र एवं पादुकाओं का पूजन किया गया। टीला द्वाराचार्य मंगल पीठाधीश्वर माधवाचार्य महाराज के सानिध्य में सभी संतों-महंतों को दक्षिणा देकर विदाई दी गई। महंत पवनदास महाराज ने बताया कि रसोई में मालवा के मशहूर दाल-बाफले और लड्डू परोसे गए।