:: कृषि अधिकारियों की संभागीय समीक्षा बैठक में संभागायुक्त दीपक सिंह ने दिये निर्देश ::
इन्दौर (ईएमएस)। संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में कृषि विभाग के विभागीय योजनाओं की संभागीय समीक्षा बैठक संभागायुक्त कार्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक में विभाग के संयुक्त संचालक आलोक मीणा सहित इन्दौर संभाग के सभी जिलों के जिला उप संचालक एवं परियोजना संचालक आत्मा मौजूद थे। बैठक में सिंह ने इन्दौर, धार, बड़वानी, आलीराजपुर, झाबुआ, खरगोन, खण्डवा और बुरहानपुर जिलों में विभाग द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की।
बैठक में संभागायुक्त सिंह ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश देते हुए कहा कि कृषि विभाग द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं से अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो। विभाग द्वारा जो नवाचार किये जा रहे हैं उनकी जानकारी किसानों तक पहुँचे और उसका अच्छे से प्रचार-प्रसार हो। अपने कार्य के प्रति उदासीनता और लापरवाही करते हुए पाये जाने पर अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। खरगोन जिले के डीडीए द्वारा अच्छा प्रदर्शन नहीं करने पर संभागायुक्त सिंह ने उन्हें शोकाज नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। वहीं झाबुआ जिले के डीडीए द्वारा बेहतर कार्य करने पर उनकी सराहना की।
संभागायुक्त सिंह ने बैठक में अधिकारियों को कहा कि अमानक खाद, बीज और अमानक उर्वरक विक्रय करने वाले विक्रेताओं के न केवल लायसेंस ही निलंबित नहीं करें बल्कि उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जाये। सभी जिला उप संचालक एवं परियोजना संचालक फील्ड में जाकर देखें कि अमानक खाद, बीज, उर्वरक विक्रय करने वालों से कितने किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ है और उत्पादन में कितनी गिरावट आयी है। किसानों का केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं होता बल्कि उनका सीजन भी चला जाता है। सभी अधिकारी इस कार्य में किसानों के प्रति संवेदनशीलता के साथ, पूरी ईमानदारी, पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ करें। संभाग के सभी डीडीए अपने इंस्पेक्टरों के माध्यम से अमानक खाद, बीज और उर्वरक के नमूने एकत्रित करें और उनकी जाँच करने में गंभीरता दिखाये। बैठक में सिंह ने खंड़वा जिले में चिया सीड्स उत्पादन की सराहना की। वहीं बुरहानपुर में मधुमक्खी पालन, कुसुम व सूरजमुखी की खेती की प्रगति को बढ़ावा देने की बात कही।
बैठक में संभागायुक्त सिंह ने बताया कि धार जिले के किसानों द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एवं रासायनिक उर्वरता पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से जीवामृत ट्यूब इकाई की स्थापना की गई है। यह जीवामृत ट्यूब इकाई प्राकृतिक खाद है। जिसका इस्तेमाल फसल उत्पादन में वृद्धि के लिये किया जाता है। इस प्राकृतिक खाद को बनाना आसान है। इसके निर्माण में गाय का गोबर, गौमूत्र, छाछ, गुड़, उबला चावल, बेसन, वेस्ट फूड और आवश्यकता अनुसार पानी की मात्रा लगती है। इन सभी सामग्री को प्लास्टिक के ट्यूब में 60 दिन तक रखने के बाद वे एक प्राकृतिक खाद में बदल जाती है। संभागायुक्त सिंह ने कहा कि वर्तमान में रासायनिक उर्वरक महंगा होने की वजह से फसल की लागत बढ़ जाती है। इस दृष्टि से प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत ट्यूब इकाई एक सस्ती और उपयोगी खाद है। अत: संभाग के सभी जिलों के किसान इस जीवामृत ट्यूब इकाई का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। बैठक में संभाग के जिलों के कृषि अधिकारियों ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।